नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने मुंबई में नजरबंदी की जगह बदलने के आग्रह के साथ शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ को नवलखा के वकील ने बताया कि अभी कार्यकर्ता को जहां नजरबंद रखा गया है, वह एक सार्वजनिक पुस्तकालय है और उसे खाली करने की जरूरत है।
नवलखा के वकील ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘ मैं केवल मुंबई में ही (नजरबंदी की) जगह बदलने की अपील कर रहा हूं।’’
अदालत में किसी अन्य मामले के लिए पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कहा कि उन्हें आवेदन के उल्लेख के बारे में कोई जानकारी नहीं है और उन्होंने इसका जवाब देने के लिए समय मांगा है।
पीठ ने कहा कि वह अगले शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करेगी।
शीर्ष अदालत ने 10 नवंबर, 2022 को नवलखा को बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण घर में नजरबंद रखने की अनुमति दी थी। वह उस समय नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे।
दस नवंबर, 2022 के आदेश के बाद से शीर्ष अदालत ने उनकी नजरबंदी की अवधि को कई बार बढ़ाया है।
शीर्ष अदालत ने नौ जनवरी को कहा था कि नवलखा को नजरबंद रखने का अंतरिम आदेश सुनवाई की अगली तारीख तक जारी रहेगा।
मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुणे पुलिस के अनुसार, इन भाषणों की वजह से अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के आसपास के क्षेत्र में हिंसा हुई थी।
भाषा नेत्रपाल दिलीप
दिलीप