Gita Press: गीता प्रेस को सम्मान स्वीकार, लेकिन पैसे लेने से किया इनकार, बताई ये वजह….

Gita Press refused to accept the money गीता प्रेस, गोरखपुर ने गांधी शांति पुरस्कार के लिए 1 करोड़ रुपये नकद पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया है

Gita Press: गीता प्रेस को सम्मान स्वीकार, लेकिन पैसे लेने से किया इनकार, बताई ये वजह….

Gita Press refused to accept the money

Modified Date: June 19, 2023 / 02:57 pm IST
Published Date: June 19, 2023 2:57 pm IST

Gita Press refused to accept the money : नई दिल्ली। गीता प्रेस, गोरखपुर ने गांधी शांति पुरस्कार के लिए 1 करोड़ रुपये नकद पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया है, यह कहते हुए कि वह केवल प्रशस्ति पत्र स्वीकार करेगा न कि नकद पुरस्कार। प्रधान मंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में गीता प्रेस का चयन करने का निर्णय लिया। मानदेय लेने से इनकार करते हुए, गीता प्रेस ने सुझाव दिया कि सरकार को पैसा कहीं और खर्च करना चाहिए। गीता प्रेस ने कहा कि वह केवल प्रशंसा प्रमाणपत्र स्वीकार करेगी।

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गीता प्रेस स्वीकार नहीं करेगा धनराशि

गीता प्रेस गोरखपुर को लागत से कम मूल्य में धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए जाना जाता है। ऐसा बीते 100 साल से होता आ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस गोरखपुर का चयन किया गया है, लेकिन गीता प्रेस अपनी परंपरा के मुताबिक, किसी भी सम्मान को स्वीकार नहीं करता है।

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गीता प्रेस गोरखपुर की बोर्ड मीटिंग में तय हुआ है कि इस बार परंपरा को तोड़ते हुए सम्मान स्वीकार किया जाएगा, लेकिन पुरस्कार के साथ मिलने वाली धनराशि नहीं ली जाएगी। जानकारी के मुताबिक, बोर्ड की बैठक में तय हुआ है कि पुरस्कार के साथ मिलने वाली एक करोड़ रुपए की धनराशि गीता प्रेस स्वीकार नहीं करेगा।

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गीता प्रेस बोर्ड की बैठक

Gita Press refused to accept the money : गौरतलब है कि गांधी शांति पुरस्कार के रूप में एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला, हथकरघा की कलाकृति के साथ एक करोड़ रुपए की धनराशि दी जाएगी। गीता प्रेस की बोर्ड में जो तय हुआ है, उसके मुताबिक, धनराशि को छोड़कर प्रशस्ति पत्र, पट्टिका और हस्तकला, हथकरघा की कलाकृति स्वीकार की जाएगी। बोर्ड का मानना है कि इससे भारत सरकार का सम्मान भी रह जाएगा और गीता प्रेस का भी सम्मान रह जाएगा।

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