पणजी, 15 दिसंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने राज्य के अरपोरा स्थित रोमियो लेन के बिर्च रेस्तरां के खिलाफ दायर एक दीवानी मुकदमे को सोमवार को जनहित याचिका (पीआईएल) में परिवर्तित कर दिया और कहा कि ‘इस तरह के मामलों में किसी न किसी को तो जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’
इस रेस्तरां में छह दिसंबर को लगी भीषण आग में 25 लोगों की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति सारंग कोटवाल और आशीष चव्हाण की पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि स्थानीय पंचायत क्लब को लेकर स्वतः संज्ञान लेने में विफल रही है और शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से नाइट क्लब को दी गई अनुमतियों पर जवाब दाखिल करने को भी कहा।
पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख आठ जनवरी तय करते हुए कहा कि कि उक्त इमारत को ध्वस्त किये जाने का आदेश दिए जाने के बावजूद उसमें व्यावसायिक गतिविधियां जारी थीं।
मूल याचिका प्रदीप घड़ी अमोनकर और सुनील दिवकर ने दायर की थी। दोनों उस जमीन के मालिक थे जिस पर नाइटक्लब बना था।
अमोनकर और दिवकर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील, रोहित ब्रास डी सा को इस मामले में अदालत मित्र नियुक्त किया गया है और उनसे इस एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है।
अपनी याचिका में अमोनकर और दिवकर ने ‘कानूनी उल्लंघनों के खतरनाक पैटर्न’ को उजागर किया है। उन्होंने दावा किया हैकि कई शिकायतों, निरीक्षणों, कारण बताओ नोटिस और यहां तक कि ध्वस्तीकरण आदेश के बावजूद पुख्ता कार्रवाई नहीं की गई।
याचिका में दलील दी गई है कि ये न केवल कई राज्य और देश के कानूनों का घोर उल्लंघन हैं, बल्कि गोवा राज्य में सार्वजनिक सुरक्षा, पारिस्थितिकी और कानून के शासन के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।
नाइटक्लब में आग लगने की घटना की कई एजेंसियों ने जांच की और इस दौरान तमाम अनियमितताएं सामने आई हैं, जिनमें नाइटक्लब चलाने की अनुमति नहीं होना भी शामिल है।
भाषा राजकुमार धीरज
धीरज