नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) सरकार ने सोमवार को कहा कि सोने और चांदी की कीमतों में हालिया उछाल का मुख्य कारण भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि और वैश्विक विकास को लेकर अनिश्चितता है, जिससे सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ी है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सोने और चांदी जैसी बहुमूल्य धातुओं की घरेलू कीमतें मुख्य रूप से उनकी प्रचलित अंतरराष्ट्रीय कीमतों अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की विनिमय दर और लागू करों/शुल्कों द्वारा निर्धारित होती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कीमतों में हालिया उछाल काफी हद तक बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक विकास को लेकर अनिश्चितता के कारण है, जिसने सुरक्षित निवेश की मांग को बढ़ावा दिया है। इसमें दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और प्रमुख संस्थानों द्वारा सोने की पर्याप्त खरीद शामिल है।’’
चौधरी ने यह भी कहा कि यद्यपि चालू वर्ष में सोने और चांदी की कीमतों में वृद्धि देखी गई है, लेकिन इन बहुमूल्य धातुओं पर सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक निर्भरता के स्तर के आधार पर विभिन्न राज्यों या जनसंख्या समूहों पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि सोने-चांदी की दोहरी भूमिका होती है, ये न केवल उपभोग की वस्तु हैं, बल्कि निवेश का एक साधन भी हैं, क्योंकि इन्हें अनिश्चितताओं से बचाव के लिए सुरक्षित संपत्ति माना जाता है।
मंत्री ने कहा कि इस प्रकार सोने या चांदी की कीमत में वृद्धि से घरेलू संपत्ति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि मौजूदा सोने या चांदी के भंडार का काल्पनिक मूल्य बढ़ जाता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कीमती धातुओं की कीमतें बाजार द्वारा निर्धारित होती हैं और सरकार मूल्य निर्धारण में शामिल नहीं होती है।
भारत ने चालू वित्त वर्ष में सितंबर तक 26.51 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का सोना और 3.21 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य की चांदी आयात की।
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