नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने गिरफ्तारी के बावजूद वी सेंथिल बालाजी के तमिलनाडु सरकार में मंत्री पद पर बने रहने के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इनकार करने संबंधी मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपील को शुक्रवार को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि किसी राज्य के राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की अनुशंसा पर कार्य करना होता है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय द्वारा अपनाये गए दृष्टिकोण से सहमत है। पीठ ने कहा, ‘‘प्रथमदृष्टया, उच्च न्यायालय की यह बात सही है कि राज्यपाल मंत्री को बर्खास्त नहीं कर सकते थे। राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की अनुशंसा पर कार्य करना होता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से सुनने और उच्च न्यायालय के फैसले पर गौर करने के बाद, हम उच्च न्यायालय द्वारा अपनाये गए दृष्टिकोण से सहमत हैं। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।’’
अनुच्छेद 136 विशेष अनुमति याचिकाओं की अनुमति देने के लिए उच्चतम न्यायालय की विवेकाधीन शक्तियों को संदर्भित करता है।
उच्चतम न्यायालय मद्रास उच्च न्यायालय के संबद्ध आदेश के खिलाफ वकील एम. एल. रवि द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था।
बालाजी को पिछले साल 14 जून को प्रवर्तन निदेशालय ने ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया था। उस समय वह पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे।
गिरफ्तारी के बाद बालाजी से उनके विभाग वापस ले लिए गए थे, लेकिन वह अब भी मंत्री बने हुए हैं।
भाषा देवेंद्र सुभाष
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