मुंबई: Dulha Dulhan Suhagrat देश में बीते कुछ सालों से शादी से ज्यादा रिश्ते टूटने के मामले सामने आ रहे हैं। तलाक के मामलों में पिछले करीब 10 साल में तेजी से इजाफा हुआ है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि अब छोटी-छोटी बात पर लोग रिश्ता तोड़ने पर उतारू हैं। तलाक के ऐसे ही एक मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सबसे अहम बात तो ये है कि ये शादी मात्र 17 दिन तक ही चल पाई। तो चलिए जानते हैं क्या है पूरा माजरा?
Dulha Dulhan Suhagrat मामले में सुनवाई न्यायमूर्ति विभा कांकणवाड़ी और न्यायमूर्ति एस जी चपलगांवकर की खंडपीठ ने की। 15 अप्रैल को दिए अपने फैसले में अदालत ने कहा कि सिर्फ 17 दिन में ही दंपती की हताशा और पीड़ा का पता चलता है। बता दें कि दंपती ने इससे पहले परिवार अदालत में भी विवाद रद्द किए जाने की मांग की थी। लेकिन, उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला ऐसे युवाओं की मदद करने के लिए उपयुक्त है जो एक-दूसरे के साथ मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से नहीं जुड़ पाए।
मिली जानकारी के अनुसार 26 वर्षीय महिला ने पारिवारिक अदालत में याचिका डालकर तलाक की मांग की थी लेकिन, याचिका खारिज होने के बाद पति ने हाई कोर्ट का रुख किया। महिला ने याचिका में कहा था कि उसका पति यौन संबंध बना पाने में असमर्थ है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ एक जानी-पहचानी स्थिति है और यह सामान्य नपुंसकता से अलग है। अदालत ने कहा कि ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ की कई शारीरिक और मानसिक वजह हो सकती हैं। ‘‘मौजूदा मामले में यह आसानी पता लगाया जा सकता है कि पति को अपनी पत्नी के प्रति ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ है। विवाह जारी न रह पाने की वजह प्रत्यक्ष तौर पर पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना पाने में पति की अक्षमता है।’’
पीठ ने यह भी कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि यह एक ऐसे युवा दंपति से जुड़ा मामला है जिसे विवाह में हताशा की पीड़ा सहनी पड़ी है। अदालत ने कहा कि व्यक्ति ने संभवत: शुरुआत में संभोग न कर पाने के लिए अपनी पत्नी को जिम्मेदार ठहराया क्योंकि वह यह स्वीकार करने से हिचकिचा रहा था कि वह उसके साथ संभोग करने में असमर्थ है।
दोनों ने मार्च 2023 में शादी की थी लेकिन 17 दिन बाद ही अलग हो गए थे। दंपति ने कहा था कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने। महिला ने दावा किया कि उसके पति ने उसके साथ यौन संबंध बनाने से इनकार कर दिया। वे एक-दूसरे के साथ मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से नहीं जुड़ पाए। पति ने दावा किया कि वह अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाया लेकिन वह सामान्य स्थिति में है। उसने कहा कि वह अपने ऊपर ऐसा कोई दाग नहीं चाहता कि वह नपुंसक है। इसके बाद पत्नी ने एक पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी दायर की। बहरहाल, पारिवारिक अदालत ने अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि पति और पत्नी ने मिलीभगत से ये दावे किए हैं। हाई कोर्ट ने पारिवारिक अदालत के फैसले को रद्द कर दिया और शादी को भी निरस्त कर दिया।
‘रिलेटिव इंपोटेंसी’ का मतलब ऐसी नपुंसकता से है, जिसमें व्यक्ति किसी के साथ यौन संबंध बनाने में असमर्थ हो सकता है। ऐसा नहीं है कि वह दूसरे व्यक्तियों के साथ भी यौन संबंध न बना पाए। यहां अर्थ मानसिक और भावनात्मक रूप से है। यह सामान्य नपुंसकता से भिन्न स्थिति है।
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