चंडीगढ़, 12 मई (भाषा) हरियाणा मानवाधिकार आयोग (एचएचआरसी) ने पंचकूला जिले में ‘‘अवैध खनन’’ गतिविधियों पर आई खबरों का स्वतः संज्ञान लिया है और रिपोर्ट में मांगी जिसमें ऐसी गतिविधियों का पता लगाने और इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है।
आयोग ने अपने सात मई के आदेश में कहा कि उसने उन खबरों का संज्ञान लिया है जिनमें जिले में, विशेष रूप से पिंजौर-नालागढ़ रोड, मल्लाह रोड, रायपुर रानी और बरवाला के आसपास के क्षेत्रों में कथित रूप से बड़े पैमाने पर ‘‘अवैध खनन’’ गतिविधियों को उजागर किया गया है।
कुछ खबरों के अनुसार स्थिति तब और अधिक भयावह हो गई जब खनन स्थल पर ड्यूटी के दौरान एक उप-निरीक्षक रैंक के पुलिस अधिकारी को खनन करने वालों ने धमकाया और उनका पीछा किया।
आयोग ने कहा कि कानून प्रवर्तन अधिकारियों के खिलाफ धमकियां और हमले उनकी सुरक्षा और पेशेवर ईमानदारी के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा और सदस्य कुलदीप जैन और दीप भाटिया वाले आयोग ने कहा कि जिले में अवैध खनन ‘‘प्रशासनिक विफलता और उदासीनता’’ को दर्शाता है।
ऐसा प्रतीत होता है कि अपराधियों और अधिकारियों के बीच सांठगांठ है, ऐसे में इस आयोग द्वारा हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
एचएचआरसी के आदेश में कहा गया है कि एक व्यापक जांच की जरूरत है और नागरिकों तथा अधिकारियों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
आयोग ने निर्देश दिया कि रिपोर्ट में वनों की कटाई, भूजल स्तर में गिरावट, वायु और जल स्रोतों के प्रदूषण जैसे क्षेत्रों को कवर करते हुए पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ उठाए गए कदम का रिकॉर्ड दर्शाया जाना चाहिए, जिसमें दर्ज किए गए आपराधिक मामलों की संख्या, जुर्माने, जब्त किए गए उपकरण और अन्य कानूनी या प्रशासनिक कार्यवाही का विवरण दिया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में एक स्पष्ट कार्य योजना भी होनी चाहिए जिसमें निगरानी और प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करने के लिए उपाय बताए गए हों।
एचएचआरसी के प्रवक्ता पुनीत अरोड़ा ने सोमवार को बताया कि आयोग ने इस बात पर जोर दिया है कि पर्यावरण संबंधी अपराधों के लिए कतई बर्दाशत नहीं करने की नीति अपनाई जाएगी।
भाषा खारी माधव
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