नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता बृंदा करात की उस याचिका पर सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए सोमवार को टाल दी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसदों- अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ उनके कथित नफरती भाषणों के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज न किये जाने की शिकायत की गयी थी।
यह मामला नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)-विरोधी प्रदर्शनों के सिलसिले में दिये गये नफरती भाषण से जुड़ा है।
निचली अदालत ने दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने से इनकार कर दिया था, जिसे करात ने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज हो गयी थी। इसके बाद माकपा नेता ने शीर्ष अदालत का रुख किया है।
न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर की तरफ से याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने के बाद मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए टाल दी।
शीर्ष अदालत ने 17 अप्रैल को नोटिस जारी कर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था।
शीर्ष अदालत ने तब कहा था कि प्रथम दृष्टया मजिस्ट्रेट का यह कहना सही नहीं था कि दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 196 के तहत मंजूरी की आवश्यकता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 13 जून को, करात के साथ-साथ उनकी पार्टी के सहयोगी के एम तिवारी की ओर से भाजपा के दोनों सांसदों के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी।
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि कानून के तहत मौजूदा तथ्यों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी लेनी जरूरी है।
भाषा सुरेश दिलीप
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