सुनवाई स्थानांतरण मामला: उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को ‘सक्षम’ करार दिया

सुनवाई स्थानांतरण मामला: उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को 'सक्षम' करार दिया

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  • Publish Date - May 13, 2022 / 10:36 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि गुजरात राज्य उस मामले का अध्ययन करने के लिए ”उपयुक्त सक्षम सरकार” है, जिसमें हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक व्यक्ति की समय पूर्व रिहाई के लिए आवेदन किया गया था और इस मामले को अगस्त 2004 में वहां की एक अदालत से सुनवाई के लिए मुंबई की एक अदालत को स्थानांतरित किया गया था।

अदालत का यह फैसला दोषी व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर आया है, जिसमें उसने नौ जुलाई, 1992 की नीति के तहत उसकी समय पूर्व रिहाई के आवेदन पर विचार करने के लिए गुजरात सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता को दोषी ठहराये जाने के समय यह नीति लागू थी।

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि मामले में अपराध गुजरात में किया गया था, हालांकि शीर्ष अदालत ने, जो एक स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, अगस्त 2004 में दाहोद/अहमदाबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष लंबित मामले को परीक्षण और निपटान के लिए मुंबई में एक सक्षम अदालत में स्थानांतरित करना उचित समझा।

पीठ ने कहा कि मुंबई की निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया था और उसे जनवरी 2008 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि सह-आरोपियों में से एक, जिसे दोषी ठहराया गया था, ने समय से पहले रिहाई की मांग करते हुए बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अगस्त 2013 में उसका आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि अपराध गुजरात में हुआ था और एक बार जब मुकदमा समाप्त हो गया और आरोपी को दोषी ठहरा दिया गया, तो समय पूर्व रिहाई के लिए आवेदन की पड़ताल को गुजरात में लागू नीति पर छोड़ दिया गया।

हालांकि, बाद में मौजूदा याचिकाकर्ता ने गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष समय पूर्व रिहाई का आवेदन दिया, जिससे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।

भाषा शफीक पवनेश

पवनेश