कोविड के साथ उच्च रक्तचाप सबसे आम बीमारी : अध्ययन

कोविड के साथ उच्च रक्तचाप सबसे आम बीमारी : अध्ययन

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  • Publish Date - May 25, 2022 / 04:51 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:31 PM IST

नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पताल के चिकित्सकों ने कोविड-19 रोगियों के नैदानिक प्रोफाइल की व्याख्या करके महामारी की महामारीविज्ञान संबंधी विशेषताओं की जांच करने के लिए एक अध्ययन किया और पाया कि उच्च रक्तचाप उनमें से सबसे आम सह-रुग्णता थी।

दिल्ली में कोरोना वायरस महामारी का पहला मामला मार्च 2020 में सामने आया था।

राष्ट्रीय राजधानी के 650 बिस्तरों वाले राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (आरजीएसएसएच) में डॉक्टरों द्वारा किए गए इस अध्ययन में 9-96 वर्ष की आयु के कुल 3,534 रोगियों का नामांकन किया गया था। मई में ‘जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, लक्षणों वाले रोगियों में बुखार और खांसी सबसे आम लक्षण थे, जबकि 5.6 प्रतिशत रोगियों में कोई लक्षण नहीं थे।

अध्ययन का हिस्सा रहे एक डॉक्टर ने कहा कि सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में आए “कोविड-19 रोगियों के नैदानिक प्रोफाइल की व्याख्या करके महामारी की महामारीविज्ञान संबंधी विशेषताओं का अध्ययन” करने के लिए यह कवायद की गई।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के निष्कर्ष में लिखा, “कोविड-19 अपनी उच्च संक्रमण दर के कारण सार्स से काफी अलग है। अब भी महामारी के बारे में कई अनिश्चितताएं प्रचलित हैं। संक्षेप में, यह महामारी दुनिया भर में चिकित्सा समुदाय के लिए एक बड़ी परीक्षा रही है और वास्तव में इसने कई मूल्यवान अनुभव प्रदान किए हैं। देश में मौजूदा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और नीतियों को सटीक और भविष्य की दृष्टि से तैयार करने की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा कि यह गोपनीयता बनाए रखते हुए उन रोगियों के चिकित्सा रिकॉर्ड का उपयोग करके एक व्याख्यात्मक अध्ययन था, जो 17 मार्च, 2020 और 15 जनवरी, 2021 के बीच रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटीपीसीआर) जांच का इस्तेमाल करने पर सार्स सीओवी-2 आरएनए से संक्रमित पाए गए थे।

अध्ययन के नतीजों में पाया गया कि “उच्च रक्तचाप सबसे आम सह-रुग्णता (37 प्रतिशत) थी, जबकि 43 प्रतिशत प्रतिभागियों में कोई सह-रुग्णता मौजूद नहीं थी और यह उम्र के लिए सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण थी।”

अध्ययन के मुताबिक, “50 प्रतिशत से अधिक रोगी घर पर पृथकवास में थे, जबकि 11 प्रतिशत रोगियों का घातक परिणाम था। बुजुर्ग आयु वर्ग के लोगों में मौत का अनुपात अधिक था। अधिकांश रोगियों को नौ से 11 दिन अस्पताल में रहना पड़ा।”

अध्ययन में कुल 63 स्वास्थ्यकर्मी शामिल किए गए थे और पुरुष:महिला अनुपात 3.5 बनाम एक का था।

अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया, “हमारे अध्ययन से पता चलता है कि अस्पताल में आए संक्रमण के अधिकांश मामलों में हल्के / मध्यम लक्षण थे। हमारा मानना है कि रोगियों के उचित परीक्षण के बाद प्रारंभिक चिकित्सा संस्थान और अच्छी महत्वपूर्ण देखभाल सेवाएं इस महामारी को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।”

भाषा

प्रशांत नरेश

नरेश