नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यक्तिगत क्षमता में जिला अदालत के एक न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही का अनुरोध करके अवमानना कानून की प्रक्रिया का ‘‘दुरुपयोग करने और उसे गलत तरीके से पेश’’ करने को लेकर एक वादी को मंगलवार को चेतावनी दी।
उच्च न्यायालय ने इसे अदालतों की ‘‘प्रभावशीलता और ईमानदारी पर हमला’’ करार दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वादी की शिकायतों का पूरी तरह से निपटारा नहीं होने के आधार पर जिला अदालत के एक न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का उसका आचरण ‘‘पूरी तरह से गुमराह करने वाला है और इसे रोका जाना चाहिए।’’
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा, ‘‘अदालत संवैधानिक संस्थाएं हैं जो इस देश के प्रत्येक नागरिक के अधिकारों और स्वतंत्रताओं को पूरी सतर्कता और सावधानी के साथ संरक्षित और सुरक्षित रखती हैं…। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत का संविधान 1950 और देश का कानूनी ढांचा किसी अदालत द्वारा लिए फैसले को चुनौती देने में उचित सुरक्षा मानक प्रदान करता है। हालांकि, इस तरह की स्वतंत्रता का लाभ न उठाना और व्यक्तिगत क्षमता में किसी न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करना अदालतों की प्रभावशीलता और ईमानदारी पर हमला है।’’
उच्च न्यायालय एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे), एक अधिवक्ता और अन्य व्यक्ति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया था।
न्यायमूर्ति सिंह ने याचिका को खारिज किया और कहा कि संबंधित एडीजे को अदालत की अवमानना का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी न्यायाधीश को अदालत की अवमानना का दोषी तब ठहराया जा सकता है जब ऐसी सामग्री हो जो दिखाती हो कि न्यायिक प्रक्रिया का घोर और जानबूझकर दुरुपयोग किया गया हो, लेकिन इस मामले में ऐसा कोई आधार नहीं बनता है।
भाषा शोभना वैभव
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