मानवता हुई शर्मसार, जब 40 किमी तक ऑटोरिक्शा में लटकता रहा शव, सिस्टम पर फिर उठे सवाल

मानवता हुई शर्मसार, जब 40 किमी तक ऑटोरिक्शा में लटकता रहा शव, सिस्टम पर फिर उठे सवाल

मानवता हुई शर्मसार, जब 40 किमी तक ऑटोरिक्शा में लटकता रहा शव, सिस्टम पर फिर उठे सवाल
Modified Date: November 29, 2022 / 08:49 pm IST
Published Date: November 18, 2019 7:56 am IST

नईदिल्ली। मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आयी है। आगरा जनपद के फतेहपुर सीकरी में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जिसके शव को 40 किलोमीटर दूर आगरा के पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाने के लिए पुलिस को शव वाहन न मिला तो शव को पैक कर एक ऑटोरिक्शा में रखवा दिया गया। ऑटोरिक्शा में जगह कम होने के कारण शव पूरे रास्ते लटकता रहा।

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दरअसल, आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज परिसर में बड़ी संख्या में प्राइवेट एंबुलेंस खड़ी रहती हैं. मेडिकल कॉलेज में किसी की मौत होते ही उसके परिजनों को निजी एंबुलेंस चालक खुद को सरकारी कर्मी बताकर घेर लेते हैं। शव को एंबुलेंस में रखने के बाद पचास किलोमीटर तक शव ले जाने के चार हजार रुपये वसूल लेते हैं। लेकिन, सबसे खराब स्थिति तब होती है जब किसी अज्ञात की मौत होती है।

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आगरा में यह पहला वाकया नहीं है, इससे पहले भी पुलिस वाले कभी रिक्शा, कभी ऑटो तो कभी ठेले पर रखकर शवों को गन्तव्य तक पहुंचाते हैं। इस मामले में फतेहपुर सीकरी में घंटों शव पड़े रहने के बाद वहां के लोगों की सूचना पर पुलिस हरकत में आई, लेकिन शव वाहन न मिलने के चलते पुलिस ने एक ऑटो बुलाकर अज्ञात शव को सीट के नीचे रखवा दिया। ऑटों में कम जगह होने के कारण शव के पैर और सिर बाहर निकले रहे।

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सीकरी से आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित पोस्टमार्टम हाउस तक की 40 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगातार शव की बेकदरी होती रही। सीएमओ दफ्तर में शव वाहन हमेशा खड़ा रहता है, बावजूद इसके हॉस्पिटल में या किसी अन्य जगह पर मौत होने पर शव वाहन की तलाश सबसे कठिन होती है। गरीब तो चंदा करके किसी तरह से निजी वाहनों से शव को अपने घर तक ले जाते हैं, लेकिन अज्ञात शवों को कोई वाहन नसीब नहीं होता।

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ऐसे में आगरा में काम करने वाले तमाम एनजीओ भी सवालों के घेरे में आ जाते हैं। आगरा से लेकर फतेहपुर सीकरी तक तमाम समाजसेवी संस्थाएं सेवा कार्य के बड़े-बड़े दावे करती हैं। लेकिन, अज्ञात शवों के मामले में उनकी सेवा के दावे की हवा निकल जाती है। इक्का-दुक्का संस्थाएं जो अज्ञात शवों पर ध्यान देती हैं, उनका दायरा भी सिर्फ शहर तक ही सीमित हैं।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com