हाथरस केस में CBI की चार्जशीट में अहम खुलासे, पुलिस की ढिलाई की वजह से नहीं मिले गैंगरेप के सबूत | Important revelations in CBI charge sheet in Hathras case, evidence of gang rape was not found due to laxity of police

हाथरस केस में CBI की चार्जशीट में अहम खुलासे, पुलिस की ढिलाई की वजह से नहीं मिले गैंगरेप के सबूत

हाथरस केस में CBI की चार्जशीट में अहम खुलासे, पुलिस की ढिलाई की वजह से नहीं मिले गैंगरेप के सबूत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : December 22, 2020/9:18 am IST

नईदिल्ली। यूपी के हाथरस केस में CBI द्वारा फ़ाइल की गयी चार्जशीट में कई अहम बातें सामने आईं हैं, जिसके अनुसार पीड़िता और एक आरोपी संदीप के बीच कुछ समय तक संबंध थे, बाद में पीड़िता ने संबंध ख़त्म कर लिए और संदीप और उसके साथियों ने गुस्से में आकर पीड़िता के साथ गैंगरेप किया। चार्जशीट में कहा गया है कि यूपी पुलिस ने इस पूरी कार्रवाई में खूब लापरवाही की। 19 सितम्बर को दिए अपने बयान में पीड़िता ने 3 लोगों का नाम लिया था, लेकिन यूपी पुलिस ने बस 1 व्यक्ति के ही खिलाफ़ नामज़द मुक़दमा दर्ज किया।

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चार्जशीट में बताया गया कि सबूतों और गवाहों से भी ये सूचना मिलती है कि आरोपी संदीप और पीड़िता एक दूसरे को पिछले 2-3 सालों से जानते थे, और दोनों कई दफ़ा अलग-थलग जगहों पर मिला करते थे। कॉल डीटेल्स के अनुसार, पीड़िता और संदीप में मार्च 2020 तक सब ठीक था, इसके बाद फ़ोन पर बातचीत बंद हो गयी, इसके बाद संदीप ने कई दफ़ा अपने दोस्तों और अपने रिश्तेदारों के फ़ोन से पीड़िता से बात करने की कोशिश की, लेकिन इधर पीड़िता संदीप से बात नहीं करना चाह रही थी। CBI ने ये भी दावा किया है कि संदीप को ये शक था कि पीड़िता का उसकी बहन के पति के साथ अफ़ेयर चल रहा है।

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इसमें कहा गया है कि 14 सितम्बर को पुलिस के सामने पीड़िता ने ‘ज़बरदस्ती’ शब्द का उल्लेख किया था, लेकिन इस पर पुलिस ने ध्यान नहीं दिया। 19 सितम्बर को पीड़िता ने छेड़खानी शब्द का ज़िक्र किया, फिर भी पुलिस ने धारा 354 को ही FIR में शामिल किया, और पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए ले जाना भी ज़रूरी नहीं समझा और इस वजह से पीड़िता की मेडिकल जांच समय से नहीं की जा सकी और अहम सबूत नहीं जुटाए जा सके।

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22 सितम्बर को दिए अपने बयान में पीड़िता ने कहा कि संदीप, रामू, लवकुश और रवि ने उसका बलात्कार किया और संदीप ने उसके दुपट्टे से उसका गला घोंटने की कोशिश की। सबसे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फ़ोरेंसिक साइंस विभाग द्वारा की गयी जांच में कहा गया कि वैज़ाइनल या एनल इंटरकोर्स करने के कोई चिन्ह नहीं मिले हैं, जबकि शरीर पर हमले के सबूत मिले हैं। CBI द्वारा जांच शुरू करने के बाद AIIMS के फ़ोरेंसिक विभाग द्वारा मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया, मेडिकल बोर्ड ने अपनी जांच में कहा कि पीड़िता के गैंगरेप की आशंका को ठुकराया नहीं जा सकता है।