पांचवीं सदी के जहाज की तर्ज पर बनाया गया है आईएनएसवी कौंडिन्य

पांचवीं सदी के जहाज की तर्ज पर बनाया गया है आईएनएसवी कौंडिन्य

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 08:11 PM IST,
    Updated On - December 29, 2025 / 08:11 PM IST

(फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) गुजरात से सोमवार को अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए ओमान रवाना हुआ जहाज आईएनएसवी कौंडिन्य पारंपरिक सिलाई विधि का इस्तेमाल करके बनाया गया है। यह पांचवीं शताब्दी के एक जहाज की तर्ज पर बनाया गया है और प्राचीन अजंता गुफाओं के एक चित्र से प्रेरणा लेकर इसे बनाने का विचार आया था।

इस जहाज का नाम पौराणिक नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है। कौंडिन्य के बारे में माना जाता है कि उन्होंने प्राचीन काल में भारत से दक्षिण पूर्व एशिया तक की यात्रा की थी। यह जहाज समुद्र तट वाले देश के रूप में भारत की ऐतिहासिक भूमिका का प्रतीक है।

अधिकारियों के अनुसार, इसके डिजाइन और निर्माण में ‘अद्वितीय तकनीकी चुनौतियां’ सामने आईं।

भारतीय नौसेना ने 21 मई को कारवार नौसेना अड्डे पर आयोजित एक समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में इस जहाज को औपचारिक रूप से कमीशन किया और इसका नाम भारतीय नौसेना नौकायन पोत (आईएएसवी) कौंडिन्य रखा।

यह जहाज सोमवार को गुजरात के पोरबंदर से ओमान के लिए अपनी पहली समुद्री यात्रा पर रवाना हुआ।

नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘यह जहाज उन प्राचीन समुद्री मार्गों से होकर जाएगा, जो कभी भारत के पश्चिमी तट को ओमान से जोड़ते थे। इससे हिंद महासागर में व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और निरंतर सभ्यतागत संबंध सुगम होते थे।”

प्राचीन तकनीक से सिले हुए जहाज के निर्माण की परियोजना संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और होडी इनोवेशन्स के बीच जुलाई 2023 में हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से शुरू की गई थी। परियोजना का वित्तपोषण संस्कृति मंत्रालय ने किया।

नौसेना के एक अधिकारी ने बताया, ‘यह जहाज पांचवीं शताब्दी ईस्वी के एक जहाज की तर्ज पर बनाया गया है और अजंता गुफाओं के एक चित्र से प्रेरित है।’

सितंबर 2023 में मास्टर शिपराइट बाबू शंकरन के नेतृत्व में कुशल कारीगरों की एक टीम ने पारंपरिक सिलाई विधि का उपयोग करके जहाज का निर्माण कार्य शुरू किया।

कई महीनों तक, टीम ने जहाज के ढांचे पर लकड़ी की तख्तियों को नारियल की रेशमी रस्सी, नारियल के रेशे और प्राकृतिक रेजिन का उपयोग करके मेहनत से जोड़ा।

जहाज को फरवरी 2025 में गोवा के होडी शिपयार्ड में लांच किया गया।

वर्षों तक निर्माण और अन्य तैयारियों के बाद, 29 दिसंबर को पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्ण स्वामीनाथन ने भारत में ओमान के राजदूत ईसा सालेह अल शिबनी की उपस्थिति में इसपर ध्वजारोहण किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह देखकर बेहद खुशी हुई कि आईएनएसवी कौंडिन्य पोरबंदर से मस्कट, ओमान के लिए अपनी पहली यात्रा पर निकल रहा है…खाड़ी क्षेत्र और उससे परे हमारे ऐतिहासिक संबंधों को पुनर्जीवित करते हुए, चालक दल को सुरक्षित और यादगार यात्रा के लिए मेरी ओर से शुभकामनाएं।’

भाषा

जोहेब दिलीप

दिलीप