Love Marriage : ‘मनपसंद व्यक्ति से विवाह करना संवैधानिक अधिकार’.. हाईकोर्ट ने महिला को दी सुरक्षा, कहा- पारिवारिक विरोध…
'मनपसंद व्यक्ति से विवाह करना संवैधानिक अधिकार'.. It is a constitutional right to marry the person of your choice
High Court's decision : image Source- symbolic
- अदालत ने महिला को सुरक्षा उपलब्ध कराई, अपहरण की आशंका के मद्देनज़र।
- परिवार की आपत्ति को 'संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध' और 'घृणित' करार दिया गया।
- धारा 140(3) व 352 IPC के तहत दर्ज FIR पर गिरफ्तारी से राहत, लेकिन हस्तक्षेप पर सख्त रोक।
प्रयागराजः Love Marriage : ‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक वयस्क महिला का अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने के निर्णय का उसके परिवार द्वारा विरोध किए जाने की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की आपत्तियां घृणित हैं। अदालत ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन जीने और निजी स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत संरक्षित है। उक्त टिप्पणी के साथ उच्च न्यायालय ने अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने की इच्छुक 27 वर्षीय महिला को सुरक्षा उपलब्ध कराई। महिला को अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने की इच्छा के कारण अपहरण किए जाने की आशंका थी।
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Love Marriage : न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता परिवार द्वारा 27 वर्षीय महिला के अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने के निर्णय पर आपत्ति करना, घृणित है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक वयस्क को यह अधिकार प्राप्त है।” अदालत ने स्पष्ट किया कि उसे यह नहीं पता कि याचिकाकर्ताओं- घर की महिलाओं, पिता और भाई का वास्तव में अपहरण करने का इरादा है या नहीं, लेकिन यह मामला एक वृहद सामाजिक मुद्दे (संवैधानिक और सामाजिक नियम कायदे के बीच मूल्यों के अंतर) को परिलक्षित करता है। अदालत ने कहा, “इस तरह के अधिकार के प्रयोग के प्रति सामाजिक और पारिवारिक विरोध, संवैधानिक और सामाजिक नियमों के बीच ‘मूल्यों के अंतर’ को स्पष्ट रूप से चित्रित करता है। जब तक यह अंतर बना रहेगा, इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी।”
अदालत महिला (चौथी प्रतिवादी) के पिता और भाई द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें महिला द्वारा मिर्जापुर जिले के चिल्ह थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 140(3) (अपहरण), 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और अन्य के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। प्राथमिकी में महिला ने अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने की इच्छा के खिलाफ उसका अपहरण किए जाने की आशंका व्यक्त की है। हालांकि, अदालत ने प्राथमिकी के संबंध में इन याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं को महिला के जीवन में या उस व्यक्ति के जीवन में जिससे वह विवाह करना चाहती है, किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने से रोका है।अदालत ने 13 जून को दिए अपने आदेश में राज्य सरकार के वकील और महिला को इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को करने का आदेश दिया।

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