झुंझुनूं : Jagdeep Dhankhar reached kithana : उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद पहली मर्तबा जगदीप धनखड़ राजस्थान दौरे पर रहे। उपराष्ट्रपति धनखड़ आज झुंझुनूं में पैतृक गांव किठाना पहुंचे। इस दौरान उन्होंने स्कूल भवन शिलान्यास और अपने नागरिक अभिन्नदन समारोह मे शिरकत की। सभा स्थल पर 15 मिनट के उद्बोधन में उपराष्ट्रपति ने सादगी से जीवन जीने और शिक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज किसान परिवार का कोई व्यक्ति इस पद तक पहुंचा है, इसे देखकर संविधान निर्माता को बहुत बड़ा सुख मिलेगा। मैं इसी मिट्टी का लाल हूं और हर दिन गांव को याद करता हूं।
Jagdeep Dhankhar reached kithana : उपराष्ट्रपति धनखड़ ने प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी पृष्ठभूमि देखकर लगता है कि हालात अब बेहतर होते जा रहे हैं। धनखड़ ने सभी लोगों से अपील करते हुए कहा कि लड़के-लड़की में फर्क मत करो और उन्हें जो करना है करने दो। उपराष्ट्रपति ने केंद्र की उज्जवला योजना की तारीफ की और पश्चिम बंगाल का उदाहरण दिया। गुरुवार सुबह करीब 8.30 बजे जैसे ही सेना के हेलिकॉप्टर्स की गड़गड़ाहट गांव वालों को सुनाई दी, गांव वाले उनका स्वागत करने हेलीपैड पर पहुंच गए। स्वागत के बाद वे सबसे पहले अपने आराध्य बालाजी के मंदिर पहुंचे।
Jagdeep Dhankhar reached kithana : मंदिर तक के रास्ते में हजारों की संख्या में मौजूद लोगों ने उनका स्वागत किया। मंदिर में पूजा-अर्चना करने और भगवान का अशीर्वाद लेने के बाद वे अपने घर गए। यहां उन्होंने अपने दोस्तों और परिवारजनों से मुलाकात की। उपराष्ट्रपति ने गांव के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय के स्कूल की नई बिल्डिंग का भी शिलान्यास भी किया। धनखड़ ने अपनी पांचवी क्लास तक की पढ़ाई यहीं से की है। इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चों ने उनका अभिनंदन किया। सभी बच्चे देश के उपराष्ट्रपति को अपने बीच पाकर काफी खुश दिखे।
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Jagdeep Dhankhar reached kithana : स्कूल बिल्डिंग के शिलान्यास के मौके पर धनखड़ ने कहा ने कि उपराष्ट्रपति या राज्यपाल बनने के बाद हमारी गाड़ियों के कांच नीचे नहीं होते हैं, लेकिन यह हमारी मजबूरी है। सुरक्षा के चलते हमें ऐसी गाड़ियों में चलना होता है, लेकिन यह मत समझना हम आपसे दूर हैं। उन्होंने कहा कि गांव गांव में हर व्यक्ति और परिवार को सरकारी योजनाओं का फायदा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किठाना के हर व्यक्ति को मैंने एक ही नजर से देखा है, फिर चाहे वह कैसी ही राजनीति करता हो। धनखड़ ने कहा कि इस गांव को आदर्श गांव बनाना मेरी परिकल्पना है। उन्होंने कहा कि गांव के बच्चे-बच्चियों को पहले थोड़ा संकोच होता है, लेकिन वो मेहनत कर दुनिया अपनी मुट्ठी में कर लेते हैं।
Jagdeep Dhankhar reached kithana : रात की ठंडी रोटी और दही के साथ करते हैं ब्रेकफास्ट उपराष्ट्रपति के परिचित महिपाल ने बताया कि वे कई सालों साहब ( जगदीप धनखड़) के पास हैं। धनखड़ भले ही सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील, मंत्री और बंगाल के गवर्नर और अब उपराष्ट्रपति बन गए, लेकिन वो आज भी सादगी से जीते हैं। उनकी दिनचर्या और खाने-पीने का रुटीन फिक्स रहता है। हर हाल में वो रोजाना 5 बजे जाग जाते हैं। इसके बाद योग और व्यायाम करते है। फिर नहाकर ठाकुरजी की पूजा करते हैं। उनका नाश्ता फिक्स है, वे रात की ठंडी रोटी और दही के साथ काचरे की चटनी खाते हैं।
Jagdeep Dhankhar reached kithana : 14 साल के इकलौते बेटे की मौत से टूट गए थे जगदीप धनखड़ के दोस्त हजारीलाल ने बताया कि धनखड़ दिल-दिमाग से बेहद मजबूत हैं। उनके दो बच्चे थे। बेटा दीपक और बेटी कामना। दीपक अजमेर के मेयो स्कूल में पढ़ता था। 14 साल की उम्र में फरवरी 1994 में दीपक को ब्रेन हेमरेज हो गया। आनन-फानन में दिल्ली लेकर गए, लेकिन बचा नहीं पाए । बेटे की मौत ने धनखड़ को तोड़ दिया था। इसके बावजूद वो उस दर्द से बाहर निकले और पूरे परिवार को संभाला। इकलौती बेटी कामना उनके साथ ही रहती हैं।
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Jagdeep Dhankhar reached kithana : धनखड़ गांव में अंग्रेजी बोलने वाले पहले शख्य थे। अब उनकी ख्वाहिश है, गांव का हर लड़का धड़ल्ले से मातृभाषा हिंदी के साथ अंग्रेजी बोले इसी सोच के साथ कुछ साल पहले उन्होंने यहां एक कमरे में स्पोकन इंग्लिश क्लासेज और दूसरे कमरे में महिलाओं के लिये कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर भी शुरू करवाया। यहां एक लाइब्रेरी भी बनवाई, जहां हर तरह की किताबों का कलेक्शन है। यहां महिलाओं के लिए एक सिलाई ट्रेनिंग सेंटर भी है।जहां प्रतिदिन वो सिलाई सीखती है।
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Jagdeep Dhankhar reached kithana : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जन्म राजस्थान में झुंझुनूं जिले के किठाना गांव में एक सामान्य किसान परिवार में 18 मई 1951 को हुआ था। इनके पिता चौधरी गोकुलचंद धनखड़ खेती करते थे। धनखड़ की प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में हुई उसके बाद वे सैनिक स्कूल चित्तौडगढ़ और राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से शिक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने 1977 से राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत शुरू कर दी थी। 1986 में मात्र 35 वर्ष की उम्र में ही धनखड़ राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बन गए थे। वे बार कौंसिल के भी सदस्य रहे है। ।
1989 में झुंझुनूं लोकसभा सीट से जनता दल उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे। उसी दौरान कुछ समय के लिए वो वीपी सिंह की सरकार में संसदीय कार्य मंत्रालय में उप मंत्री बने। धनखड़ ने 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने पर उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।