jammu and kashmir news/ image source: IBC24
Jammu and Kashmir News: जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर की सियासी गलियारों से बड़ी खबर आ रही है। खबर यह है कि, राज्यसभा की चार खाली सीटों के लिए मतदान आज किया जा रहा है। ये सीटें 2021 से रिक्त थीं, जब राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं हो पाए थे। अब, नई विधानसभा के गठन के बाद ये चुनाव न केवल संसद में जम्मू-कश्मीर की आवाज तय करेंगे, बल्कि यह भी दिखाएंगे कि राज्य में राजनीतिक समीकरण किस ओर झुक रहे हैं।
इन चार सीटों के लिए कुल सात उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने चार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं। एनसी ने चौधरी मुहम्मद रमज़ान, सज्जाद अहमद किचलू, शम्मी ओबेरॉय और इमरान नबी डार को प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा ने सत शर्मा, अली मुहम्मद मीर और राकेश महाजन को मैदान में उतारा है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने विधायकों को मतदान में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है। पार्टी को भरोसा है कि उसे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलेगा। एनसी का दावा है कि भाजपा को राज्यसभा से बाहर रखने के लिए विपक्षी एकजुटता इस बार पूरी तरह उनके पक्ष में है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कुल 90 सीटों में से बडगाम और नगरोटा की दो सीटें फिलहाल खाली हैं, जिससे प्रभावी सदस्यों की संख्या 88 रह गई है। एक सीट पर जीत के लिए लगभग 45 वोटों की आवश्यकता है। विश्लेषकों के मुताबिक, नेशनल कॉन्फ्रेंस विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते चार में से तीन सीटों पर मजबूत दावेदार है। हालांकि, चौथी सीट को लेकर मुकाबला बेहद दिलचस्प और अप्रत्याशित माना जा रहा है।
भाजपा, जिसके पास 28 विधायक हैं, तीन उम्मीदवार उतारकर चुनावी गणित को दिलचस्प बना चुकी है। पार्टी को उम्मीद है कि सत शर्मा अपने संख्याबल के आधार पर एक सीट पर जीत दर्ज करेंगे। हालांकि बाकी दो सीटों पर उसकी स्थिति कमजोर है, क्योंकि विपक्षी दल एकजुट होकर एनसी के पक्ष में वोट डाल सकते हैं।
पीडीपी ने एनसी को सशर्त समर्थन देने का ऐलान किया है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि एनसी को उसका समर्थन तभी मिलेगा जब वह पीडीपी के दो महत्वपूर्ण विधेयकों, भूमि अधिकार और नियमितीकरण विधेयक 2025 तथा दिहाड़ी मजदूरों के नियमितीकरण विधेयक, का समर्थन करेगी। दूसरी ओर, सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया है, जबकि कांग्रेस ने अब तक अपना रुख साफ नहीं किया है।
अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) और आम आदमी पार्टी (आप) ने भी किसी दल के समर्थन की घोषणा नहीं की है। इस वजह से चौथी सीट का गणित पूरी तरह अनिश्चित बना हुआ है। माना जा रहा है कि यह सीट छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों की रणनीति पर निर्भर करेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तीन सीटों पर एनसी की जीत लगभग तय है, लेकिन चौथी सीट पर मुकाबला बेहद करीबी होगा।
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