अगरतला, 27 दिसंबर (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता जितेंद्र चौधरी ने शनिवार को कहा कि त्रिपुरा में जन शिक्षा आंदोलन ने राज्य में वाम मोर्चा सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और सामाजिक-शैक्षिक-सांस्कृतिक क्षेत्र को भी गढ़ने का काम किया है।
यहां ‘जन शिक्षा आंदोलन’ के आयोजन में बोलते हुए, पार्टी के राज्य सचिव ने कहा कि आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालय स्थापित करना था, जहां ‘1,400 वर्षों से अधिक समय तक राजसी शासन के दौरान शिक्षा उपेक्षित रही’।
उन्होंने कहा, ‘‘दशरथ देव, नृपेन चक्रवर्ती और सुधन्य देबबर्मा के नेतृत्व में 11 युवाओं ने 1948 में जन शिक्षा आंदोलन का गठन किया था और 400 स्कूल स्थापित किए थे, जिनमें से अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों में थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगले कुछ वर्षों में, ‘जन शिक्षा आंदोलन’ ने गति पकड़ी और वाम आंदोलन को बढ़ावा दिया जिसके कारण वाम मोर्चा सरकार का गठन हुआ। इसने राज्य के सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र, राजनीति और शिक्षा को भी बदल दिया है।’’
वर्ष 1978 में पहली बार वामपंथियों ने पूर्वोत्तर राज्य में सरकार बनाई। उन्होंने माणिक्य राजवंश पर टिपरासा (आदिवासी) लोगों को बुनियादी शिक्षा से वंचित करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘70 के दशक तक शिक्षा को लेकर आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच कोई असंतोष नहीं था। आजकल, टिपरा मोथा भाषा के लिए रोमन लिपि (कोकबोरोक) शुरू करके शिक्षा प्रणाली को बदलने की कोशिश कर रहा है।’’
चौधरी ने त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) द्वारा संचालित स्कूलों में टिपरा मोथा पार्टी द्वारा अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई की शुरुआत करने के तरीके की आलोचना की।
उन्होंने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (एनईपी) के नाम पर हिंदुत्व की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए भाजपा की आलोचना की।
भाषा संतोष रंजन
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