नई दिल्ली। केंद्र सरकार के जारी किए गए उत्कृष्ट स्थानों की सूची में जियो इंस्टीट्यूट का नाम आने से सोशल मीडिया पर इसकी जमकर खिल्ली उड़ाई जा रही हैं। वहीं विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है क्योंकि जियो इंस्टीट्यूट अभी अस्तित्व में ही नहीं है। बता दें कि सरकार ने बुधवार को उत्कृष्ट संस्थानों की एक सूची जारी की है जिसमें 3 सरकारी और 3 निजी संस्थाओं के नाम हैं। इन सरकारी संस्थाओं में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मुंबई और आईएससी बैंगलोर शामिल हैं। जबकि निजी संस्थानों में मनिपाल एकेडमी ऑफ…, बिट्स पिलानी और जियो इंस्टीट्यूट के नाम हैं।
सोशल मीडिया पर बना मजाक
अब सोशल मीडिया पर इस सूची को लेकर खूब मजाक बनाया जा रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से इन नामों की घोषणा के बाद लोग सरकार का काफी मजाक बना रहे हैं। लोगों का कहना है कि आखिर सरकार कैसे एक संस्थान को अस्तित्व में आने से पहले उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दे सकती है।
People try to get seats through Management Quota.
But Ambani has managed to get an entire Institute through Management Quota.
Waah Modi ji Waah! #JioInstitute pic.twitter.com/FYJoUvS9XC
— Abhijeet (@aaptimist_) July 10, 2018
विपक्ष ने भी पूछा सवाल
विपक्षी दलों ने जियो इंस्टिट्यूट को केंद्र सरकार द्वारा देश के छह प्रतिष्ठित संस्थानों की सूची में शामिल किए जाने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंबानी बंधुओं से करीबी रिश्तों का परिणाम बताया है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि ऐसा संस्थान जो अब तक खुला भी नहीं है, उसे उत्कृष्टता का दर्जा कैसे दिया जा सकता है। सरकार को यह बताना चाहिए कि यह दर्जा किस आधार पर दिया गया है।
The BJP Govt favours Mukesh & Nita Ambani yet again. The illusionary JIO Institute which is yet to see the light of day has been declared as an ’eminent’ institute. The Govt needs to clarify the basis of classification for granting such a status.#SuitBootSarkar https://t.co/owxlh7Kgev
— Congress (@INCIndia) July 9, 2018
वहीं, येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘अब तक वजूद में ही नहीं आए विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठित संस्थान का तमगा देना कार्पोरेट जगत के तीन लाख करोड़ रुपये के गैरनिष्पादित कर्ज की तरह है, जिसे सरकार ने चार साल में उद्योगपतियों से अपनी मित्रता निभाने के एवज में बट्टेखाते में डाल दिया।
This granting of ‘Eminence’ tag to a non-existent university of a corporate is perfectly in line with a write-off of ₹ 3 lakh crore of unpaid bank loans for friendly corporates in the past four years. pic.twitter.com/7di8aOq5OH
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) July 10, 2018
सरकार ने दी सफाई
सोशल मीडिया समेत विपक्ष के सवालों पर सरकार और यूजीसी ने स्पष्टीकरण जारी किया है। सरकार ने बताया है कि क्यों जियो इंस्टीट्यूट को इस लिस्ट में शामिल किया गया है।
In response to some misinformation campaign in social media regarding “Institutes of Eminence”, please find herewith clarifications on commonly raised questions #InstituteofEminence pic.twitter.com/K6IB5ILpfb
— Ministry of HRD (@HRDMinistry) July 9, 2018
वेब डेस्क, IBC24