जेपीएससी मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने का आग्रह करने वाली याचिका पर 25 जनवरी को आएगा फैसला

जेपीएससी मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने का आग्रह करने वाली याचिका पर 25 जनवरी को आएगा फैसला

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  • Publish Date - January 18, 2022 / 08:25 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:22 PM IST

रांची, 18 जनवरी (भाषा) झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने का आग्रह करने वाली याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय ने बहस सुनने के बाद मंगलवार को 25 जनवरी तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया।

सातवीं जेपीएससी मुख्य परीक्षा 28 जनवरी से होनी है।

न्यायमूर्ति राजेश शंकर की पीठ ने इस परीक्षा पर रोक लगाने का आग्रह करने वाली याचिका पर आज सुनवाई पूरी कर ली और कहा कि इस मामले में 25 जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा।

इससे पहले, मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने को लेकर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में अपील भी दाखिल की गई थी जिस पर 13 जनवरी को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने कहा था कि प्रार्थी को कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह मामला अभी एकल पीठ में सुनवाई के लिए लंबित है। प्रार्थी के आग्रह पर अदालत ने मुख्य परीक्षा की तिथि 28 जनवरी से पहले एकल पीठ को इस मामले में आदेश पारित करने का निर्देश दिया था।

इसके बाद, न्यायमूर्ति राजेश शंकर की एकल पीठ ने आज इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली और आदेश सुरक्षित रख लिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजेश कुमार बताया कि जेपीएससी की ओर से गलत मॉडल उत्तरों के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम घोषित किए गए हैं, जबकि इससे पूर्व सभी अभ्यर्थियों से इसको लेकर जेपीएससी ने आपत्ति मांगी थी।

उन्होंने कहा कि उनकी ओर से भी कई प्रश्नों के उत्तर गलत होने संबंधी दस्तावेज जेपीएससी को भेजे गए थे लेकिन जेपीएससी ने गलत उत्तरों के आधार पर ही परिणाम जारी कर दिया। अधिवक्ता ने कहा कि प्रथम प्रश्नपत्र के छह और द्वितीय प्रश्नपत्र के दो मॉडल उत्तर गलत होने से संबंधित दस्तावेज भी जेपीएससी को दिए गए लेकिन जेपीएससी की ओर से संशोधित परिणाम में उक्त उत्तरों से संबंधित सुधार नहीं किया गया।

याचिका में आग्रह किया गया था कि मामले में विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाना चाहिए और संबंधित परामर्श लिया जाना चाहिए। इसमें कहा गया कि प्रारंभिक परीक्षा परिणाम को रद्द कर संशोधित परिणाम जारी किया जाना चाहिए तथा तब तक मुख्य परीक्षा पर रोक लगाई जानी चाहिए।

वहीं, जेपीएससी के अधिवक्ताओं-संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि अभ्यर्थियों की आपत्ति विशेषज्ञ समिति के पास भेजी गई थी और समिति की अनुमति के बाद ही प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी किया गया।

याचिकाकर्ता शेखर सुमन ने अपनी याचिका में कहा कि अगर आठ प्रश्नों का मॉडल उत्तर सही होता तो उनका चयन भी मुख्य परीक्षा के लिए हो जाता।

भाषा इन्दु अविनाश नेत्रपाल

नेत्रपाल