कर्नाटक: कोगिलु में मकान ढहाए जाने के मामले में मानवाधिकार आयोग ने सरकार से जवाब मांगा

कर्नाटक: कोगिलु में मकान ढहाए जाने के मामले में मानवाधिकार आयोग ने सरकार से जवाब मांगा

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 07:35 PM IST,
    Updated On - December 29, 2025 / 07:35 PM IST

बेंगलुरु, 29 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक राज्य मानवाधिकार आयोग की एक टीम ने सोमवार को शहर के उत्तरी हिस्से में स्थित कोगिलू में उस स्थल का दौरा किया, जहां कई ‘अवैध मकानों’ को ध्वस्त किया गया।

टीम ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि निवासियों के लिए उचित वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई थी, लेकिन इसकी पुष्टि की जाएगी।

कर्नाटक राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष टी शाम भट्ट ने कहा कि इस मामले को आयोग की जांच शाखा को भेजा गया है, ताकि मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों की जांच की जा सके और यह निर्धारित किया जा सके कि अतिक्रमण-रोधी कार्रवाई के समय कानूनी प्रावधानों का पालन किया गया या नहीं। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर सरकार को शुरुआती सिफारिशें भेजी जाएंगी।

अधिकारियों ने बताया कि 20 दिसंबर को कोगिलू के वसीम लेआउट और फकीर कॉलोनी में घरों को ‘‘बेंगलुरु सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड’’ द्वारा ध्वस्त किया गया, ताकि प्रस्तावित ठोस कचरा प्रसंस्करण इकाई के लिए अतिक्रमण हटाया जा सके।

उन्होंने बताया कि ये घर बिना सरकारी अनुमति के बनाए गए थे और इनमें रहने वाले अधिकांश लोग अन्य राज्यों से आए प्रवासी थे।

भट्ट ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमारे अधिकारी जांच करेंगे और प्रभावित लोगों को इस प्रक्रिया के दौरान संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे। अगर यह सरकारी जमीन है, तो हम रिकॉर्ड की जांच करेंगे और सरकार को सिफारिशें भेजेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस बीच, निवासियों का आरोप है कि घरों को ध्वस्त करने से पहले कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई थी, हालांकि मीडिया रिपोर्ट में सामने आया कि कुछ दूरी पर अस्थायी आश्रय केंद्र खोले गए थे। हम इस सब की जांच करेंगे।”

भट्ट ने कहा, “सभी पहलुओं पर विचार करते हुए हम फिलहाल सरकार को प्रारंभिक सिफारिशें देंगे। उचित जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।”

अध्यक्ष ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि निवासियों के बयानों के आधार पर प्रथम दृष्टया मानवाधिकार उल्लंघन प्रतीत होता है।

उन्होंने बताया, ‘‘हालांकि, दस्तावेजों की पुष्टि किए बिना हम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते। चूंकि यह सरकारी भूमि बताई जा रही है, इसलिए हम सरकार को नोटिस भेजेंगे और कानून के अनुसार की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगेंगे। इसके आधार पर हम निर्णय लेंगे और सिफारिशें भेजेंगे।’’

भाषा जितेंद्र सुरेश

सुरेश