केरल सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन के आरोपों का खंडन किया

केरल सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन के आरोपों का खंडन किया

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  • Publish Date - August 13, 2025 / 07:39 PM IST,
    Updated On - August 13, 2025 / 07:39 PM IST

तिरुवनंतपुरम, 13 अगस्त (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने बुधवार को उन खबरों को ‘‘निराधार’’ बताकर खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि राज्य सरकार प्रेस की स्वतंत्रता को ‘‘प्रतिबंधित करने का प्रयास’’ कर रही है।

सीएमओ ने मीडिया में आयी खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है।

बयान में कहा गया कि ‘केरा’ परियोजना के लिए विश्व बैंक द्वारा धन आवंटन के संबंध में एक अत्यंत गोपनीय पत्र लीक हुआ और यह मीडिया में सामने आया। इसी संबंध में जांच के आदेश दिए गए हैं।

विश्व बैंक ने उक्त परियोजना के लिए ऋण के पहले चरण के तहत 139.65 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है, जिसका उद्देश्य राज्य के लगभग चार लाख किसानों को लाभ पहुंचाना है।

पिछले वर्ष अक्टूबर में स्वीकृत की गई इस धनराशि को सात दिन के भीतर ‘केरा’ परियोजना से संबंधित खाते में भेजा जाना था।

वहीं, मीडिया में जारी खबरों में यह दावा किया गया कि राज्य सरकार ने इस राशि का उपयोग कथित तौर पर अन्य खर्चों के लिए किया।

सीएमओ की ओर से जारी बयान में दावा किया गया, ‘‘ऐसे पत्र अत्यधिक गोपनीय होते हैं। इन्हें लीक करने और मीडिया में प्रकाशित करने से विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच सकता है।’’

इसने कहा कि सरकार के सुचारू कामकाज के लिए इस मामले की जांच आवश्यक है।

बयान में कहा गया कि इस मुद्दे को पत्रकारों को निशाना बनाने के रूप में चित्रित नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इसके विपरीत इन खबरों को ‘‘फर्जी समाचार का दुष्प्रचार’’ करना करार दिया जाना चाहिए।

सीएमओ ने स्पष्ट किया, ‘‘यदि किसी समाचार को गलत तरीके से प्रस्तुत करने के संबंध में सरकारी अधिकारियों द्वारा कोई चूक हुई है, तो इसकी जांच करना और जिम्मेदार लोगों की पहचान करना मीडिया रोधी कदम के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। यह स्वाभाविक कार्रवाई है।’’

बयान में कहा गया कि कानूनी और वैधानिक उपाय किए जा रहे हैं और यह कहना कि जांच के तहत पत्रकारों को तलब किया जाएगा, यह गलत व्याख्या है। सरकार लगातार फर्जी खबरों और दुष्प्रचार को रोकने का प्रयास करती रही है।

बयान में दावा किया गया, ‘‘यहां तक कि जब झूठी खबर को सबूतों के साथ खारिज कर दिया जाता है तब भी कुछ मीडिया संस्थान बिना सुधार किए या माफी मांगे इसका प्रकाशन या प्रसारण करते रहते हैं।”

भाषा प्रीति अविनाश

अविनाश