Kisan Andolan News: किसानों ने ठुकराई सरकार की पेशकश.. कल से फिर शुरू करेंगे “दिल्ली मार्च”.. जानें क्या था प्रस्ताव

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  • Publish Date - February 20, 2024 / 07:05 AM IST,
    Updated On - February 20, 2024 / 07:05 AM IST

Kisan Andolan Latest Update | Source : File Photo

नई दिल्ली : किसानों ने सोमवार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की केंद्र सरकार की नई योजना को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह उनके हित में नहीं है। सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद, प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे 21 फरवरी की सुबह अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च फिर से शुरू करेंगे, किसान नेताओं ने कहा कि प्रस्ताव में स्पष्टता नहीं है और वे सिर्फ दालों, मक्का और कपास की फसलों पर ही नहीं बल्कि सभी 23 फसलों पर एमएसपी चाहते हैं। केंद्र सरकार और किसानों के बीच चौथे दौर की बातचीत हुई, जहां केंद्र ने सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर दालों, मक्का और कपास की फसलों की खरीद को लेकर पांच साल की योजना पेश की।

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सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपये की लागत से पाम तेल का आयात करती है, उन्होंने कहा कि यदि यह राशि किसानों द्वारा उगाए जाने वाले तिलहन के लिए निर्धारित की जाती है, तो इससे उन्हें लाभ होगा।

शांतिपूर्ण आंदोलन की मांगी अनुमति

किसान नेता ने कहा कि फिलहाल सरकार के साथ कोई बैठक की योजना नहीं है लेकिन वे बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। डल्लेवाल ने सरकार से अपील की कि या तो किसानों द्वारा उठाई गई मांगों को पूरा किया जाए या उन्हें दिल्ली में शांतिपूर्वक विरोध करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने सभी प्रदर्शनकारी किसानों से हिंसा न करने का भी आग्रह किया।

सुको ले स्वतः संज्ञान

नेताओं ने यह भी कहा कि पंजाब-हरियाणा सीमा पार करने की कोशिश के दौरान उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई में 400 किसान घायल हो गए। डल्लेवाल ने कहा कि हरियाणा के डीजीपी का यह दावा कि पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं किया गया, गलत है।

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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को किसानों को लगी चोटों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए किसानों ने 20 फरवरी की आधी रात तक इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए पंजाब सरकार की भी आलोचना की और पूछा कि क्या यह केंद्र सरकार के आदेश पर किया गया है उन्होंने इस बात पर स्पष्टीकरण की मांग की कि पंजाब सरकार ने ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं को प्रतिबंध लगाने के लिए लिखित आदेश क्यों जारी किए।