कानून वापस नहीं, निरस्त हो सकते हैं, कृषि कानूनों की वैधता का निर्णय न्यायालय करेगा: पीडीटी आचार्य

कानून वापस नहीं, निरस्त हो सकते हैं, कृषि कानूनों की वैधता का निर्णय न्यायालय करेगा: पीडीटी आचार्य

कानून वापस नहीं, निरस्त हो सकते हैं, कृषि कानूनों की वैधता का निर्णय न्यायालय करेगा: पीडीटी आचार्य
Modified Date: November 29, 2022 / 08:16 pm IST
Published Date: January 17, 2021 7:13 am IST

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों का आंदोलन जारी है। सरकार के साथ उनकी बातचीत अब तक बेनतीजा रही है। किसान संगठन और विपक्षी दल इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, हालांकि सरकार इनको किसानों के हित में बता रही है। इन कानूनों को लेकर उच्चतम न्यायालय भी सुनवाई कर रहा है। इसी पृष्ठभूमि में लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य से पेश है ‘पीटीआई-भाषा’ के पांच सवाल:

सवाल: किसान संगठन और कई विपक्षी दल कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। क्या संसद से पारित कानूनों को वापस लिया जा सकता है?

जवाब: जो विधेयक संसद से पारित होकर कानून बन गया हो, उसे वापस नहीं लिया जा सकता। उसे सिर्फ निरस्त किया जा सकता है। विधेयक वापस लिए जा सकते हैं। अगर सरकार इन कानूनों को निरस्त करने के लिए तैयार होती है तो वह इनकी जगह दूसरे विधेयक लेकर आएगी। फिर संसद से नए विधेयकों को मंजूरी मिलेगी। इस तरह से पुराने कृषि कानून निरस्त हो जाएंगे।

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सवाल: क्या अतीत में ऐसा कोई उदाहरण है कि किसी कानून के बनने के कुछ महीनों के भीतर ऐसी स्थिति पैदा होने पर उसे निरस्त किया गया हो?

जवाब: कई पुराने और अनुपयोगी कानूनों को निरस्त किया गया है और अक्सर किया जाता है। लेकिन मेरी स्मृति में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि संसद से कानून बनने के कुछ महीनों के भीतर जनता के दबाव में कानून निरस्त किया गया हो। मुझे नहीं पता कि इस गतिरोध में आगे क्या होगा, हालांकि सरकार इन कानूनों को निरस्त करने के लिए तैयार नहीं है।

सवाल: क्या सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर जल्दबाजी की या उसकी तरफ से कोई चूक हुई?

जवाब: मेरे हिसाब से कृषि विधेयकों को पारित कराने में खामियां थीं और ये खामियां राज्यसभा में हुईं। सदन में जब वोट के लिए सदस्यों ने मांग कर दी तो सभापति या पीठासीन अधिकारी के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है। ध्वनिमत से विधेयक पारित होते हैं, लेकिन किसी सदस्य ने मतदान की मांग कर दी तो यह करवाना ही पड़ेगा। अगर सभापति या पीठासीन व्यक्ति ऐसा नहीं करते हैं तो यह नियमों और संविधान के खिलाफ है।

सवाल: विपक्ष और किसान संगठनों का आरोप है कि विधेयकों को असंवैधनिक तरीके से पारित किया गया है, जबकि सरकार इसे संवैधानिक मानती है। इस संदर्भ में आपकी क्या राय है?

जवाब: संविधान के अनुच्छेद 100 के अनुसार सदन में हर मामला बहुमत के वोटों से तय होता है। बहुमत के वोट का फैसला तो मतदान से होगा। इन विधेयकों पर कई सदस्यों की मांग के बावजूद मतदान नहीं कराया गया। ऐसे में मेरा मानना है कि संविधान का उल्लंघन हुआ है।

सवाल: उच्चतम न्यायालय आगे किन प्रमुख संवैधानिक बिंदुओं के आधार पर इन कानूनों को लेकर सुनवाई कर सकता है?

जवाब: अनुच्छेद 122 के मुताबिक सदन की प्रक्रिया को आप अदालत में चुनौती नहीं दे सकते। लेकिन प्रक्रिया में अनियमितता और संविधान के उल्लंघन को चुनौती दी जा सकती है। अगर संविधान के उल्लंघन की बात सर्वोच्च अदालत के समक्ष साबित होती है तो न्यायालय कानूनों को निरस्त कर सकता है। वह इनको राज्यसभा के पास भी भेज सकता है क्योंकि अगर ये प्रक्रिया के तहत पारित नहीं हुए हैं तो फिर ये अधिनियम नहीं हैं। ऐसे में उन्हें उच्च सदन के पास फिर से भेजा जा सकता है। अब इन कानूनों की संवैधानिक वैधता का फैसला पूरी सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ही करेगा।

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com