माकन राजस्थान प्रभारी बने रहने के इच्छुक नहीं, पार्टी ने जिम्मेदारी निभाते रहने के लिए कहा |

माकन राजस्थान प्रभारी बने रहने के इच्छुक नहीं, पार्टी ने जिम्मेदारी निभाते रहने के लिए कहा

माकन राजस्थान प्रभारी बने रहने के इच्छुक नहीं, पार्टी ने जिम्मेदारी निभाते रहने के लिए कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : November 17, 2022/7:17 pm IST

नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने राजस्थान प्रभारी का पद छोड़ने की इच्छा भले ही जता दी हो, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनसे यह जिम्मेदारी निभाते रहने के लिए कहा है।

सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

सूत्रों का कहना है कि माकन इस बात से क्षुब्ध हैं कि जयपुर के 25 सितंबर के राजनीतिक घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार जाने माने वाले नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

माकन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व से छह महीने पहले आग्रह किया था कि उन्हें पद से मुक्त किया जाए।

उनका कहना है, ‘‘मैं इस जिम्मेदारी को छोड़ना चाहता हूं ताकि दिल्ली में गैर सरकारी संगठनों और श्रमिक संगठनों के माध्यम से दिल्ली में काम कर सकूं और मुद्दों पर आम आदमी पार्टी का प्रतिवाद कर सकूं।’’

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अभी माकन के पद छोड़ने की पेशकश पर कोई फैसला नहीं हुआ है।

सूत्रों के अनुसार, माकन ने खरगे से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा था और कहा कि राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक फिर से बुलाई जाए और बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

सूत्रों का कहना है कि माकन ने खरगे से यह भी कहा कि राजस्थान में संकट के लिए जिम्मेदार नेताओं को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से जुड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद उनके लिए स्थिति असहज हो गई।

माकन ने 25 सितंबर के जयपुर के राजनीतिक घटनाक्रम का हवाला देते हुए राजस्थान प्रभारी की जिम्मेदारी छोड़ने की इच्छा जताई है।

उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष खरगे को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि यह पार्टी के हित में है कि राजस्थान के लिए नया प्रभारी नियुक्त किया जाए। माकन ने यह पत्र गत आठ नवंबर को लिखा था।

उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई गई थी। इसे कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद के रूप में देखा गया था, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था।

हालांकि, सीएलपी की बैठक नहीं हो सकी थी, क्योंकि गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।

इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो, जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत नीत सरकार का समर्थन किया था। तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी।

इसके बाद कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी तथा पार्टी नेता धर्मेंद्र राठौड़ को उनकी इस ‘घोर अनुशासनहीनता’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उनसे 10 दिन के भीतर यह बताने के लिए कहा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।

भाषा हक

हक मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)