मोदी सरकार ने संविधान के हर मूल्य की धज्जियां उड़ाईं : खरगे

मोदी सरकार ने संविधान के हर मूल्य की धज्जियां उड़ाईं : खरगे

  •  
  • Publish Date - February 11, 2025 / 10:59 PM IST,
    Updated On - February 11, 2025 / 10:59 PM IST

नयी दिल्ली, 11 फरवरी (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संविधान के मूल स्वरूप के साथ खिलवाड़ करने संबंधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आरोपों को लेकर मंगलवार को कहा कि संविधान के प्रकाशकों ने चित्रों को नहीं, संविधान के मूल्यों को तवज्जो दी थी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार ने संविधान के हर मूल्य की धज्जियां उड़ाई हैं।

खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘संविधान में जो 22 चित्र हैं, वो महात्मा गांधी जी के कहने पर मशहूर चित्रकार नंदलाल बोस जी ने बनाए थे। चित्रों के साथ अद्भुत सुलेख का काम प्रेम बिहारी नारायण रायजादा जी द्वारा किया गया था, जिन्होंने भुगतान के बदले में नेहरू से पूछा था कि क्या वह पांडुलिपि में उनके नाम पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। नेहरू जी इस पर सहमत हो गए। उनका उपनाम ‘प्रेम’ पांडुलिपि के सभी पृष्ठों पर दिखाई देता है।’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि संविधान ‘हम भारत के लोग’ ने बनाया है। उन्होंने कहा, “आम जनता की सहूलियत के लिए जिन्होंने भी संविधान की प्रतियां छापी हैं, उन्होंने सुलेख और चित्र के बजाय, उसके मूल्यों को तवज्जों दी है। यही संविधान के रचनाकार, हमारे महान पूर्वज भी चाहते थे। यही दशकों से चला आ रहा है।’

उन्होंने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के एक कथन का जिक्र किया और आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पिछले साढ़े दस वर्षों में संविधान के हर मूल्य की धज्जियां उड़ाने का काम किया है, इसलिए लोकसभा चुनाव के दौरान जनता ने उन्हें सबक सिखाया और ‘400 पार’ से दूर रखा।

खरगे ने कहा, ‘इससे पहले हमने देखा कि भरी संसद में किस तरह गृह मंत्री अमित शाह ने बाबासाहेब पर आपत्तिजनक टिपण्णी करके भारत के संविधान शिल्पी का अपमान किया था, इस देश के वंचितों का अपमान किया था।’

उच्च सदन में मंगलवार को भाजपा सांसद राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि आज देश का आम नागरिक हो या फिर विधि शास्त्र का छात्र, अगर वह भारत के संविधान की प्रति बाजार में खरीदने जाता है, तो उसे वह मूल प्रति नहीं प्राप्त होती है, जिस पर 26 जनवरी 1949 को संविधान निर्माताओं ने हस्ताक्षर किए थे।

अग्रवाल ने दावा किया कि भारत के संविधान के साथ असंवैधानिक तरीके से खिलवाड़ किया गया और इसके कुछ प्रमुख हिस्सों को निकाल दिया गया।

भाषा

हक पारुल

पारुल