मोरबी पुल हादसा : अदालत ने जमीनी हकीकत को समझने के लिए पीड़ितों से मुलाकात करने का निर्देश दिया

मोरबी पुल हादसा : अदालत ने जमीनी हकीकत को समझने के लिए पीड़ितों से मुलाकात करने का निर्देश दिया

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  • Publish Date - July 23, 2024 / 06:25 PM IST,
    Updated On - July 23, 2024 / 06:25 PM IST

अहमदाबाद, 23 जुलाई (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने न्याय मित्र को एक स्वतंत्र वकील के साथ मिलकर जमीनी हकीकत को समझने के लिए मोरबी पुल ढहने की घटना के पीड़ितों से मुलाकात करने और एक रिपोर्ट सौंपने का मंगलवार को निर्देश दिया।

मच्छु नदी पर बना यह ब्रिटिशकालीन झूवा पुल 30 अक्टूबर 2022 को टूट गया था जिसमें 135 लोगों की मौत हो गयी थी तथा 56 लोग घायल हो गए थे।

मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ पुल ढहने की घटना पर एक जनहित याचिका पर स्वत: संज्ञान सुनवाई कर रही है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम यह प्रस्ताव दे रहे हैं कि किसी को अदालत की ओर से जाना चाहिए और पीड़ितों से बात करनी चाहिए। न्याय मित्र पीड़ितों से मुलाकात करें, जमीनी हकीकत को समझें और रिपोर्ट सौंपे।

उन्होंने कहा कि एक और वकील को न्याय मित्र के साथ जाना चाहिए और पीड़ितों से मुलाकात करने तथा उनके मुद्दे समझने के लिए उनके साथ वक्त बिताने के बाद एक स्वतंत्र आकलन करना चाहिए।

अदालत ने कहा कि एक पीड़ित ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है। उसने कहा कि वकीलों को संबंधित व्यक्ति से बातचीत करनी चाहिए।

न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम स्वतंत्र राय चाहते हैं। हर किसी से मुलाकात करने, उनसे बातचीत करने और उन्हें यह समझाने की कोशिश करें कि अदालत उनके लिए बनी है।’’

न्याय मित्र और वकील को जिलाधीश द्वारा उपलब्ध कराए आवश्यक सहयोग के साथ अगस्त में पीड़ितों से मिलने का निर्देश दिया गया है।

महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि कि पुल के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार ओरेवा ग्रुप द्वारा गठित ट्रस्ट ने 18 जुलाई को बैठक की और अपने कुछ सदस्यों को पीड़ितों की जरूरतों और आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए हर तीन महीने में एक बार उनसे मिलने की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया।

भाषा

गोला प्रशांत

प्रशांत