नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर जहां एक ओर देश की सियरसत में गहमा-गहमी का माहौल बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर भाजपा में टिकट कटने को लेकर नेताओं में असंतोष व्याप्त है। कुछ नाराज कार्यकर्ताओं ने अन्य राजनीतिक दलों का दामन थाम लिया तो कुछ लोगों ने निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है। इसी बीच खबर आ रही है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी शुक्रवार को लालकृष्ण आडवानी से मुलाकात करने उनके घर पहुंचे और उनसे विचार विमर्श किया।
बता दें कि एक दिन पहले आडवाणी ने कहा था कि उनकी पार्टी ने खुद से राजनीतिक रूप से असहमति जताने वाले को कभी ”राष्ट्र विरोधी” नहीं माना है। आडवाणी की यह टिप्पणी इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत भाजपा के शीर्ष नेताओं ने बालाकोट हवाई हमलों के बाद विपक्षी दलों को राष्ट्र विरोधी बताया था।
गौरतलब है कि आडवाणी और जोशी उन वरिष्ठ भाजपा नेताओं में शामिल हैं जिन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया गया है। आडवाणी (91) भाजपा के संस्थापकों में से एक हैं और वह सबसे लंबे समय तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। वह साल 1991 के बाद से छह बार गांधीनगर संसदीय सीट से जीते।
वहीं, पार्टी के संस्थापकों में शामिल जोशी भी भाजपा के तीसरे अध्यक्ष रहे हैं। उन्हें कानपुर से टिकट नहीं दिया गया, जिसके बाद उन्होंने एक बयान जारी कर बताया था कि भाजपा के महासचिव (संगठन) राम लाल ने उन्हें सूचित किया है कि पार्टी नेतृत्व ने फैसला किया है कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।