raise marriage age Muslim women
नयी दिल्ली, 5 मार्च । marriage age of Muslim women: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मुस्लिम महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने के लिए पर्सनल लॉ में संशोधन करने के वास्ते राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा, ताकि इस विषय को जनांदोलन बनाया जा सके । आरएसएस के करीब माने जाने वाले मंच के सूत्रों ने बताया कि मंच इस अभियान के तहत मस्जिदों में महिलाओं के नमाज अदा करने के वास्ते अलग से स्थान बनाने की मांग को लेकर जनसमर्थन जुटाने का प्रयास करेगा।
ज्ञात हो कि अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अनुपालन कानून के तहत मुस्लिम महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु उनकी तरुणाई को प्राप्त करना है। मंच के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘यह बेहद प्रतिगामी है।’’
उन्होंने कहा कि शिक्षित एवं प्रगतिशील परिवारों के अलावा मुस्लिम महिलाओं की शादी कम आयु में ही हो जाती है, क्योंकि शरिया कानून के तहत तरुणाई प्राप्त करने पर वह विवाह के योग्य हो जाती हैं। उन्होंने दावा किया कि कई लड़कियों, खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में, का विवाह 12-13 वर्ष की कम आयु में ही हो जाती है और 20 वर्ष की आयु होने तक उनके कई बच्चे हो जाते हैं ।
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उन्होंने कहा कि ऐसे में मुस्लिम महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाने की जरूरत है और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इस उद्देश्य से पर्सनल लॉ में संशोधन करने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा, ताकि विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाया जा सके ।