नवलखा को अपनी सुरक्षा के लिए 1.64 करोड़ रुपये का भुगतान करना है: एनआईए ने न्यायालय को बताया

नवलखा को अपनी सुरक्षा के लिए 1.64 करोड़ रुपये का भुगतान करना है: एनआईए ने न्यायालय को बताया

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  • Publish Date - March 7, 2024 / 08:52 PM IST,
    Updated On - March 7, 2024 / 08:52 PM IST

नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि गौतम नवलखा को घर में नजरबंदी के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने के खर्च के तहत 1.64 करोड़ रुपये का भुगतान करना है, हालांकि कार्यकर्ता के वकील ने इस राशि को लेकर आपत्ति जताई और एजेंसी पर ‘‘जबरन वसूली’’ का आरोप लगाया।

एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस. वी. एन भट्टी की पीठ को बताया कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार 70 वर्षीय नवलखा ने चौबीसों घंटे सुरक्षा मुहैया कराने के लिए किए गए खर्च के तहत अब तक केवल 10 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया है।

राजू ने कहा, ‘‘उन्हें कुछ राशि का भुगतान करना होगा।’’

नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन ने 1.64 करोड़ रुपये की राशि का विरोध करते हुए कहा कि एजेंसी द्वारा देय राशि की गणना गलत और संबंधित नियमों के विपरीत है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने एनआईए द्वारा निर्धारित इस राशि का विरोध किया है और इस मामले में सुनवाई की जरूरत है। वे नागरिकों को हिरासत में रखने के लिए उनसे एक करोड़ रुपये की मांग नहीं कर सकते।’’

विधि अधिकारी ने जवाब दिया, ‘‘नागरिक घर में नजरबंदी के हकदार नहीं हैं।’’

रामकृष्णन ने तब कहा, ‘‘यहां तक कि उनके अपने नियमों के अनुसार भी, यह राशि नहीं है। और इसलिए जबरन वसूली नहीं की जा सकती। एक गरीब आदमी कभी बाहर नहीं निकल सकता।’’

राजू ने ‘‘जबरन वसूली’’ शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मामले पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है और मामले की सुनवाई अप्रैल के लिए स्थगित कर दी।

बंबई उच्च न्यायालय द्वारा नवलखा को जमानत देने के अपने आदेश के क्रियान्वयन पर लगाई गई रोक तब तक जारी रहेगी।

बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को नवलखा को जमानत दे दी थी लेकिन एनआईए द्वारा सर्वोच्च अदालत में अपील दायर करने के लिए समय मांगने के बाद अपने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी।

यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इसकी वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी।

इस मामले में 16 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से पांच इस समय जमानत पर बाहर हैं।

भाषा

देवेंद्र अविनाश

अविनाश