गंगा में सीवेज बहाए जाने पर रिपोर्ट जमा करने में देरी के लिए एनजीटी ने यूपीपीसीबी को फटकार लगाई

गंगा में सीवेज बहाए जाने पर रिपोर्ट जमा करने में देरी के लिए एनजीटी ने यूपीपीसीबी को फटकार लगाई

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  • Publish Date - August 26, 2021 / 07:08 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:12 PM IST

नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कानपुर में रनिया और राखी मंडी में गंगा नदी में जहरीले क्रोमियम युक्त सीवेज के बहाए जाने पर उद्योगों की विशिष्ट जिम्मेदारी पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में देरी के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को फटकार लगाई है।

अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि छह महीने से अधिक समय बीत चुका है और यूपीपीसीबी ने अभी तक इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं किया है जिसकी कार्यवाही अभी भी लंबित है।

एनजीटी ने कहा कि इस तरह के रवैये की सराहना कैसे जा सकती है और संबंधित पर्यवेक्षण अधिकारियों द्वारा स्थिति को सुधारने की जरूरत है।

पीठ ने हाल के एक आदेश में कहा, ‘यूपीपीसीबी अब मामले को अंतिम रूप दें और 30 सितंबर, 2021 को या उससे पहले अपना आदेश पारित करें और इस अधिकरण के समक्ष इसे दायर करें। अपीलकर्ता 15 दिनों के भीतर उक्त आदेश पर अपनी आपत्तियां, यदि कोई हो, दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र हैं।’

एनजीटी ने इससे पहले कानपुर में रनिया और राखी मंडी में गंगा में जहरीले क्रोमियम युक्त सीवेज के बहने की जांच करने में विफल रहने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी और प्रदूषण फैलाने के लिए 22 चमड़े के कारखानों पर 280 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया था और उस पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

हरित पैनल ने कहा था कि पिछले 43 वर्षों से समस्या का समाधान नहीं किया गया है और इसके परिणामस्वरूप भूजल दूषित हो गया है जिससे निवासियों का स्वास्थ्य और जीवन प्रभावित हो रहा है।

भाषा कृष्ण अनूप

अनूप