भारत के 41 देशों में स्थायी मिशन खोलने के काम में ‘कोई प्रगति नहीं’: संसदीय समिति

भारत के 41 देशों में स्थायी मिशन खोलने के काम में ‘कोई प्रगति नहीं’: संसदीय समिति

  •  
  • Publish Date - December 19, 2025 / 01:30 PM IST,
    Updated On - December 19, 2025 / 01:30 PM IST

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) संसद की एक स्थायी समिति ने कहा है कि 41 देशों में अब तक भारत के कोई स्थायी मिशन या दूतावास नहीं है, जिसके कारण संभावित साझेदारों के साथ संपर्क तथा कूटनीतिक, आर्थिक एवं रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के अवसर सीमित हो रहे हैं।

समिति ने सरकार से यूरोप, लातिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में स्वीकृत उन पांच नए मिशनों का संचालन “शीघ्र” शुरू करने की सिफारिश की है, जिसकी अनुमति मिल चुकी है। इसमें उन देशों में भी स्थायी मिशन खोलना शामिल है जहां भारत का अब तक कोई मिशन नहीं है।

कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति की यह रिपोर्ट बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों में पेश की गई।

रिपोर्ट में वर्ष 2025-26 के लिए विदेश मंत्रालय की अनुदान मांगों पर समिति की पांचवीं रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों और सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण दिया गया है।

समिति ने यह भी कहा कि भारत का कूटनीतिक प्रभाव बढ़ रहा है और बहुपक्षीय सहभागिता, क्षेत्रीय सुरक्षा, विकास साझेदारियों तथा जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसी उभरती चुनौतियों से निपटने में देश की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है।

समिति ने हालांकि यह भी रेखांकित किया कि भारत सरकार के कुल बजट में विदेश मंत्रालय का हिस्सा 2024-25 में 0.46 प्रतिशत से घटकर 2025-26 में 0.41 प्रतिशत रह गया है। समिति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दायरे और जिम्मेदारियों के विस्तार के मद्देनज़र यह कमी चिंताजनक है।

समिति ने सिफारिश की कि बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने और वैश्विक मंच पर अधिक प्रभावी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को अगले वित्त वर्ष में विदेश मंत्रालय के बजट आवंटन में कम से कम 20 प्रतिशत की वृद्धि पर विचार करना चाहिए।

समिति ने दोहराया कि 41 देशों में अभी भी भारत के कोई स्थायी मिशन या पोस्ट नहीं हैं।

समिति के अनुसार, सरकार की कार्रवाई रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है कि जून 2025 तक बेलफास्ट (ब्रिटेन), मैनचेस्टर (ब्रिटेन), फुकुओका (जापान), बोस्टन (अमेरिका) और लॉस एंजिलिस (अमेरिका) में पांच नए पोस्ट कार्यरत हो गए हैं।

हालांकि, समिति ने कहा कि 41 देशों में स्थायी मिशन या पोस्ट खोलने में कोई प्रगति नहीं हुई है और इन देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों का कामकाज फिलहाल पड़ोसी मिशनों के समवर्ती प्रत्यायन और मानद वाणिज्य दूतों की नियुक्ति के जरिए किया जा रहा है। समिति ने विदेश मंत्रालय से इसके कारण बताने को कहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 41 देशों में स्थायी मिशनों या पोस्टों का अभाव, मित्र देशों के साथ साझेदारी के माध्यम से भारत की वृद्धि और विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के, विदेश नीति के उद्देश्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।

यह देखते हुए कि विदेशों में भारत के मिशन और पोस्ट साझेदार देशों के साथ संबंधों के मुख्य माध्यम हैं, समिति ने विदेश मंत्रालय से यूरोप, लातिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में स्वीकृत पांच नए मिशनों के संचालन को शीघ्र शुरू करने और जिन देशों में भारत का अभी मिशन नहीं है, वहां स्थायी मिशन खोलने का आग्रह किया है, ताकि भारत की कूटनीतिक और रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाई जा सके।

समिति ने बताया कि एक फरवरी 2025 तक विदेशों में भारत के मिशन और पोस्ट 6,277 कर्मियों के साथ कार्यरत हैं, जिनमें 3,158 भारत-आधारित और 3,119 स्थानीय कर्मचारी शामिल हैं। केंद्र ने समिति को बताया कि 2024 में 10 नए मिशन और पोस्ट चालू किए गए थे।

कूटनीतिक भाषा में पोस्ट विदेश स्थिति उस कार्यालय को कहा जाता है जहां किसी देश के राजनयिक काम करते हैं।

बांग्लादेश के संदर्भ में समिति ने कहा कि वहां की राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति अस्थिर रहने के कारण 2025-26 में कोई नयी ‘उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना’ (एचआईसीडीपी) शुरू किए जाने की संभावना नहीं है।

समिति ने यह भी चिंता जताई कि भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन-चतुर्थ की तिथियां अभी तय नहीं हुई हैं और इसके 2025 में होने की संभावना कम है। इसके अलावा, आईएएफएस-प्रथम, द्वितीय और तृतीय के तहत जारी परियोजनाओं की स्थिति की समीक्षा से पता चलता है कि 21 परियोजनाओं को कार्यान्वयन के लिए चिह्नित किया गया है लेकिन विभिन्न बाधाओं के कारण 16 में अभी तक कार्यान्वयन शुरू नहीं हो पाया है।

रिपोर्ट में समिति ने पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम को गृह मंत्रालय के अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (सीसीटीएनएस) डेटाबेस के साथ पूर्ण रूप से एकीकृत करने में तेजी लाने की जोरदार सिफारिश की है, ताकि सुरक्षा और पासपोर्ट सत्यापन प्रक्रिया में सुधार हो सके।

समिति ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति विकास और मानवीय कार्यों में लगे भारतीय कर्मियों की सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय है। समिति ने सुरक्षा पहलुओं पर विशेष ध्यान देने के लिए एक अलग तंत्र या प्रभाग बनाने की आवश्यकता जताते हुए सरकार से संबंधित एजेंसियों के साथ परामर्श कर इस दिशा में व्यवस्था तय करने का आग्रह किया है।

भाषा

मनीषा माधव

माधव