असम में शिकार विरोधी अभियान के तहत 40 से अधिक लोग गिरफ्तार, अंतरराष्ट्रीय साठगांठ का खुलासा

असम में शिकार विरोधी अभियान के तहत 40 से अधिक लोग गिरफ्तार, अंतरराष्ट्रीय साठगांठ का खुलासा

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  • Publish Date - August 11, 2025 / 01:39 PM IST,
    Updated On - August 11, 2025 / 01:39 PM IST

गुवाहाटी, 11 अगस्त (भाषा) असम में गैंडों के शिकार के खिलाफ शुरू किए गए ‘ऑपरेशन फाल्कन’ के तहत पिछले साल 40 से अधिक गिरफ्तारियां की गई हैं, अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े कई गिरोहों की पहचान की गई है तथा शिकार के कई प्रयास विफल किए गए हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को एक वीडियो क्लिप साझा किया जिससे ये जानकारी मिली।

उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर से लेकर डिजिटल खुफिया जानकारी तक, सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करके शिकारियों का पीछा किया गया है।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में इस अभियान की सफलता पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, ‘‘हैशटैग ‘ऑपरेशन फाल्कन’ – अवैध शिकार और अवैध पशु व्यापार की कमर तोड़ रहा है।’’

वीडियो में बताया गया है कि ‘ऑपरेशन फाल्कन’ असम पुलिस और वन विभाग का एक सहयोगात्मक प्रयास है।

यह कार्यक्रम 2024 में शिकारियों के विरुद्ध शुरू किया गया था क्योंकि दो गैंडों के शिकार ने अधिकारियों को अपनी शिकार-विरोधी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया था।

वीडियो में कहा गया है कि सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके शिकारियों का पीछा किया गया और जमीनी तथा डिजिटल खुफिया जानकारी का व्यापक उपयोग करते हुए उन पर नजर रखी गई।

वीडियो क्लिप में कहा गया है, ‘‘इस अभियान के तहत अंतर-राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ की पहचान की गई है, म्यांमा के माध्यम से अवैध व्यापार से जुड़े छह प्रमुख गैंडा शिकार गिरोहों की पहचान की गई है और गैंडा शिकार के नौ प्रयासों को विफल किया गया है।’’

राज्य भर में कुल 42 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें 18 बिश्वनाथ में, आठ दरांग में, छह नगांव में, पांच कार्बी आंगलोंग में, दो सोनितपुर में और एक-एक उदलगुड़ी, डिब्रूगढ़ और कछार में गिरफ्तार किए गए हैं।

वीडियो में कहा गया है, ‘‘ऑपरेशन फाल्कन तब तक जारी रहेगा जब तक हम असम से शिकार को खत्म नहीं कर देते।’’

राज्य के एक सींग वाले गैंडों को उनके सींगों के कारण शिकारियों द्वारा निशाना बनाया जाता है, जिनके बारे में अंधविश्वास है कि उनमें औषधीय या उपचारात्मक गुण होते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक अध्ययनों से ऐसी मान्यताओं में कोई सच्चाई नहीं पाई गई है।

भाषा सुरभि नरेश

नरेश