हिमाचल राजभवन की जिस मेज पर शिमला समझौते पर हस्ताक्षर हुए उससे पाकिस्तानी झंडा गायब

हिमाचल राजभवन की जिस मेज पर शिमला समझौते पर हस्ताक्षर हुए उससे पाकिस्तानी झंडा गायब

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  • Publish Date - April 25, 2025 / 04:55 PM IST,
    Updated On - April 25, 2025 / 04:55 PM IST

शिमला, 25 अप्रैल (भाषा) हिमाचल प्रदेश राजभवन में उस ऐतिहासिक मेज पर से शुक्रवार सुबह पाकिस्तानी झंडा गायब पाया गया, जिस पर बैठकर शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

यह बात पाकिस्तान द्वारा 1972 में हस्ताक्षरित समझौते को निलंबित करने के एक दिन बाद सामने आयी है।

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को एक आतंकवादी हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारत द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते को स्थगित किया गया है।

इस समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने दो और तीन जुलाई की मध्य रात्रि को हस्ताक्षर किए थे।

समझौते पर हस्ताक्षर जिस चमकदार लकड़ी की मेज पर किए गए थे उसे हिमाचल प्रदेश राजभवन के कीर्ति हॉल में एक ऊंचे लाल रंग के मंच पर रखा गया है।

मेज पर भुट्टो द्वारा समझौते पर हस्ताक्षर करने तथा उनके बगल में बैठीं इंदिरा गांधी की तस्वीर रखी हुई है, जबकि पृष्ठभूमि में दीवार पर 1972 के भारत-पाकिस्तान शिखर सम्मेलन की कई अन्य तस्वीरें लगी हुई हैं।

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तानी झंडा कब हटाया गया, लेकिन राजभवन के अधिकारियों ने पुष्टि की कि पड़ोसी देश का झंडा ‘मेज पर नहीं है।’

समझौते पर हस्ताक्षर को कवर करने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने शुक्रवार को ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि करीब 53 साल पुराने इस समझौते में सभी विवादास्पद मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति बनाए रखने पर जोर दिया गया था।

उन्होंने कहा, ‘हालांकि, पाकिस्तान द्वारा इसका बार-बार उल्लंघन किया गया और इसके निलंबन का कोई औचित्य नहीं है। यहां तक ​​कि अगर झंडा हटा भी दिया जाता है तो भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि अतीत में पाकिस्तान द्वारा कई बार समझौते का उल्लंघन किया गया है।’

वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि समझौते पर उस समय हस्ताक्षर किया गये थे जब स्थिति पूरी तरह से भारत के नियत्रंण में थी और उसने 90 हजार युद्ध बंदियों को लौटाने और भारतीय सेना द्वारा कब्जा की गयी 13 हजार वर्ग किमी जमीन वापस करने का निर्णय किया था, जो एक भारी भूल थी।

उन्होंने पहलगाम, पुलवामा एवं उरी में हुए आतंकवादी हमलों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘उस भूल की हम यह कीमत चुका रहे हैं।’’

भाषा

शुभम माधव

माधव

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