रेबीज रोगियों के लिए निष्क्रिय इच्छामृत्यु: न्यायालय दो सप्ताह बाद याचिका पर सुनवाई करेगा

रेबीज रोगियों के लिए निष्क्रिय इच्छामृत्यु: न्यायालय दो सप्ताह बाद याचिका पर सुनवाई करेगा

रेबीज रोगियों के लिए निष्क्रिय इच्छामृत्यु: न्यायालय दो सप्ताह बाद याचिका पर सुनवाई करेगा
Modified Date: February 10, 2025 / 04:32 pm IST
Published Date: February 10, 2025 4:32 pm IST

नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह रेबीज रोगियों के लिए ‘निष्क्रिय इच्छामृत्यु’ के अधिकार की मांग करने वाली याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगा।

यह मामला न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष आया।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘ऑल क्रिएचर्स ग्रेट एंड स्मॉल’ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के जुलाई 2019 के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसमें केंद्र और अन्य प्राधिकारियों को रेबीज को एक असाधारण बीमारी के रूप में मानने और रोगियों को “सम्मान के साथ मृत्यु” का विकल्प देने का निर्देश देने से इनकार कर दिया गया था।

 ⁠

‘निष्क्रिय इच्छामृत्यु’ चिकित्सा उपचार को रोकने या वापस लेने का कार्य है जिसके तहत किसी व्यक्ति को मरने की अनुमति देने के उद्देश्य से जीवनरक्षक उपकरणों को बंद कर देने या हटा लेने जैसे उपाय शामिल होते हैं।

जनवरी 2020 में शीर्ष अदालत ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया और 2019 में दायर याचिका पर उनसे जवाब मांगा।

सोमवार को याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि केंद्र ने 2018 में इस मामले में उच्च न्यायालय में जवाबी हलफनामा दाखिल किया था। पीठ ने कहा कि दो सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

एनजीओ की याचिका में रेबीज रोगियों के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित करने की मांग की गई थी, जिससे कि उन्हें या उनके अभिभावकों को निष्क्रिय इच्छामृत्यु के लिए चिकित्सकों की सहायता लेने का विकल्प चुनने की अनुमति मिल सके।

भाषा प्रशांत नेत्रपाल

नेत्रपाल


लेखक के बारे में