पीडीपी नेता वहीद पारा कानून का पालन करने वाले नागरिक नहीं: एनआईए

पीडीपी नेता वहीद पारा कानून का पालन करने वाले नागरिक नहीं: एनआईए

  •  
  • Publish Date - June 15, 2025 / 03:58 PM IST,
    Updated On - June 15, 2025 / 03:58 PM IST

जम्मू, 15 जून (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता और विधायक वहीद-उर-रहमान पारा की जमानत शर्तों में नरमी दिये जाने के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि ‘‘वह कानून का पालन करने वाले नागरिक नहीं हैं’’ और उनके खिलाफ ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ से संबंधित अपराधों में आरोप तय किए गए हैं।

एनआईए ने जम्मू-कश्मीर से बाहर जाने की अनुमति देने के लिए जमानत शर्तों में नरमी बरतने के अनुरोध संबंधी पारा की याचिका पर चार पन्नों के जवाब में मामले का विस्तृत विवरण दिया और कहा कि याचिका को खारिज करने की जरूरत है क्योंकि आरोपी कानून के शिकंजे से भाग सकता है।

एनआईए अदालत ने पारा को जमानत दे दी, लेकिन अदालत की अनुमति के बिना उन्हें केंद्र शासित प्रदेश नहीं छोड़ने का निर्देश दिया।

पीडीपी विधायक पारा को एनआईए ने पहली बार 25 नवंबर 2020 को गिरफ्तार किया था और नौ जनवरी 2021 को उन्हें जमानत मिल गई थी।

उन्हें हालांकि जम्मू की जेल से रिहा नहीं किया गया।

पारा को जम्मू-कश्मीर पुलिस की आपराधिक जांच (कश्मीर) शाखा ने गिरफ्तार कर लिया था, जिसे अब राज्य अन्वेषण अभिकरण (एसआईए) में बदल दिया गया है। बाद में उन्हें 2022 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी।

पीडीपी विधायक ने हाल ही में यहां एनआईए की विशेष अदालत का रुख किया।

पारा ने विशेष अदालत में याचिका दायर कर अपने संवैधानिक कर्तव्यों के लिए जम्मू-कश्मीर से बाहर लेकिन देश के भीतर यात्रा करने की अनुमति मांगी। हालांकि, एनआईए ने कहा कि जमानत की मौजूदा शर्तें किसी भी तरह से आरोपी को विधायक के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने से नहीं रोकती हैं।

एनआईए ने कहा, “आरोपी वहीद-उर-रहमान पारा कानून का पालन करने वाले नागरिक नहीं हैं और उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाला गंभीर आरोप हैं।”

एजेंसी ने कहा, “केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से बाहर यात्रा करने की अनुमति के अनुरोध संबंधी किसी भी अर्जी को मुकदमे के महत्वपूर्ण चरण के दौरान एक सुनियोजित प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।”

एनआईए ने दलील दी कि जमानत शर्तों में किसी भी प्रकार की छूट पारा के कानूनी कार्यवाही से बचने और जारी मुकदमे को दरकिनार करने की मंशा के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करेगी।

एजेंसी ने कहा, “राहत देने से आरोपी के फरार होने का बड़ा जोखिम पैदा हो सकता है।”

पारा को आतंकवाद से संबंधित एक मामले में 18 महीने बाद 2022 में उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी।

उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा था कि अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्य अधूरे हैं, जिसकी वजह से उन्हें राहत देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

भाषा जितेंद्र सुभाष

सुभाष