फोन टैपिंग मामला: न्यायालय ने तेलंगाना के पूर्व एसआईबी प्रमुख की पुलिस हिरासत 25 दिसंबर तक बढ़ाई
फोन टैपिंग मामला: न्यायालय ने तेलंगाना के पूर्व एसआईबी प्रमुख की पुलिस हिरासत 25 दिसंबर तक बढ़ाई
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने फोन टैपिंग मामले में आरोपी तेलंगाना विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) के पूर्व प्रमुख टी. प्रभाकर राव की पुलिस हिरासत शुक्रवार को 25 दिसंबर तक बढ़ा दी।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि राव को 26 दिसंबर को पूछताछ के बाद रिहा कर दिया जाएगा और मामले में अगली सुनवाई की तारीख तक उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
शुक्रवार को कार्यवाही के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि राव ने आत्मसमर्पण कर दिया है लेकिन वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने अदालत में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की और पुलिस हिरासत को एक सप्ताह के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया।
मेहता ने अदालत को बताया कि राव मार्क्सवादियों पर नजर रखने की आड़ में कुछ खास व्यक्तियों की अवैध निगरानी कर रहे थे।
राव की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने दावा किया कि एसआईबी के पूर्व प्रमुख को पूछताछ के नाम पर परेशान किया जा रहा है और उनसे सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक पूछताछ की जा रही है।
उच्चतम न्यायालय ने मामले में सुनवाई की तारीख अगले साल 16 जनवरी को तय की है।
उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार राव ने 12 दिसंबर को पूर्वाह्न 11 बजे जुबली हिल्स थाने में जांच अधिकारी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।
तेलंगाना सरकार ने पहले आरोप लगाया था कि राव अदालत के आदेश के बावजूद अपने ‘आईक्लाउड अकाउंट’ को अब भी छिपा रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने 29 मई को राव को दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की और उन्हें यह हलफनामा देने का निर्देश दिया कि पासपोर्ट प्राप्त होने के तीन दिनों के भीतर वह भारत लौट आएंगे।
राव ने अग्रिम जमानत की उनकी याचिका खारिज करने वाले तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है।
हैदराबाद की एक अदालत ने 22 मई को फोन टैपिंग मामले में राव के खिलाफ उद्घोषणा आदेश जारी किया।
आदेश के अनुसार, अगर राव 20 जून तक अदालत के समक्ष पेश नहीं होते हैं तो उन्हें ‘‘भगोड़ा अपराधी’’ घोषित किया जा सकता है।
अगर किसी व्यक्ति को भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया जाता है, तो न्यायालय आरोपी की संपत्ति को जब्त करने का आदेश दे सकता है।
एसआईबी के एक निलंबित डीएसपी समेत चार पुलिस अधिकारियों को मार्च 2024 में हैदराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इन पर पूर्ववर्ती भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की सरकार के दौरान विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से खुफिया जानकारी मिटाने और फोन टैपिंग करने का आरोप था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।
भाषा सुरभि गोला
गोला

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