नई दिल्ली : PM Modi became strict : देश में कब भी कानून बनता है तो उस कानून को बनाते समय उसपर गंभीरता से विचार नहीं किया जाता। इसी कारण से उन कानूनों में बार-बार संशोधन करना पड़ता है। अब इन सब बातों को लेकर पीएम मोदी सख्त रूप अपनाते हुए नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस संबंध में सभी मंत्रालयों को सर्कुलर जारी कर सख्त निर्देश दिया है।
PM Modi became strict : जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि जब भी कोई मंत्रालय कानून का मसौदा तैयार करे तो कैबिनेट के सामने भेजने से पहले इसके सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करें। सर्कुलर में कहा गया है कि सभी कैबिनेट नोट्स में इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि उस विषय से संबंधित विदेश में क्या प्रथाएं हैं या इस विषय पर क्या कानून है। इसके साथ ही देश के वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखकर सभी नोट्स बनाए जाने चाहिए। पीएमओ ने यह भी कहा है कि जो भी नोट्स अंतर मंत्रालयी परामर्श के लिए भेजा जाए उसकी प्रति पीएमओ और सचिवालय में जरूर भेजी जाए।
PM Modi became strict : कैबिनेट सचिवालय ने सभी मंत्रालयों को भेजे इस पत्र में कहा है, “यह देखा गया है कि जब नोट अंतर-मंत्रालयी परामर्श के लिए भेजे जाते हैं, तो कुछ मंत्रालय/विभाग ड्राफ्ट (कैबिनेट) नोट की प्रति पीएमओ और कैबिनेट सचिवालय में नहीं भेज रहे हैं।” पीएमओ ने कहा है कि 2015 में जो प्रक्रिया अपनाई गई थी, उसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। पीएमओ ने सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि नोट को कैबिनेट में विचार के लिए रखे जाने से पहले उसकी सभी स्तरों पर सावधानीपूर्वक जांच करना आवश्यक है। इस निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने से प्रस्ताव में विसंगतियों को दूर किया जा सकता है।
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PM Modi became strict : 1- कैबिनेट नोटों का मसौदा तैयार करते समय विषय से संबंधित सभी मामलों की समग्र रूप से जांच की जानी चाहिए। इसमें विषय से संबंधित वैश्विक मान्यताओं या विभिन्न देशों में प्रख्यापित कानूनों पर विचार किया जाना चाहिए जो हमारे लिए प्रासंगिक हो।
2- कानून का मसौदा इस तरह से तैयार हो कि उसमें बार-बार संशोधन की जरूरत न पड़े। इसके लिए सभी पहलुओं पर समग्रता से विचार हो।
3- नोट में सभी प्रासंगिक इनपुट पैराग्राफ में दिया जाना चाहिए जिसका संबंधित विषयों के साथ तालमेल हो। इसके साथ ही विवरण को नोट के अनुलग्नक में शामिल किया जा सकता है।
4- विषय से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार हो। देश की वर्तमान स्थिति और वह औचित्य जिसके जरिए हम भविष्य का रोड मैप तैयार कर सकते हैं, नोट में स्पष्ट रूप से जाहिर होना चाहिए। इसके साथ ही राज्यों के कानून पर भी गौर करना जरूरी है।
5- कैबिनेट में मसौदा भेजे जाने से पहले या अंतर मंत्रालयी परामर्श से संबंधित नोटों को पीएमओ और केंद्रीय सचिवालय में भेजा जाना अनिवार्य है।