प्रधानमंत्री मोदी ने ओमान के लिए रवाना आईएनएसवी कौंडिन्य के चालक दल को शुभकामनाएं दीं

प्रधानमंत्री मोदी ने ओमान के लिए रवाना आईएनएसवी कौंडिन्य के चालक दल को शुभकामनाएं दीं

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 06:48 PM IST,
    Updated On - December 29, 2025 / 06:48 PM IST

नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौसेना के आईएनएसवी कौंडिन्य पोत के चालक दल को सोमवार को शुभकामनाएं दीं, जिसे पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है। यह जहाज गुजरात के पोरबंदर से ओमान के लिए अपनी पहली समुद्री यात्रा पर रवाना हुआ है।

नौसेना की पश्चिमी कमान के ध्वज अधिकारी कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने भारत में ओमान के राजदूत ईसा सालेह अल शिबानी की मौजूदगी में आईएनएसवी कौंडिन्य जहाज को औपचारिक रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह देखकर बेहद खुशी हुई कि आईएनएसवी कौंडिन्य पोरबंदर से मस्कट, ओमान के लिए अपनी पहली यात्रा पर निकल रहा है…खाड़ी क्षेत्र और उससे परे हमारे ऐतिहासिक संबंधों को पुनर्जीवित करते हुए, चालक दल को सुरक्षित और यादगार यात्रा के लिए मेरी शुभकामनाएं।’

मोदी ने कहा कि पारंपरिक भारतीय तकनीक से निर्मित यह जहाज भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस विशिष्ट जहाज को साकार करने में किए गए समर्पित प्रयासों के लिए मैं डिजाइनरों, कारीगरों, जहाज निर्माताओं और भारतीय नौसेना को बधाई देता हूं।’

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि प्राचीन भारतीय जहाजों के चित्रण से प्रेरित और पूरी तरह से पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करके निर्मित आईएनएसवी कौंडिन्य इतिहास, शिल्प कौशल और आधुनिक नौसैनिक विशेषज्ञता का एक दुर्लभ मेल प्रस्तुत करता है।

कौडिन्य के लकड़ी के तख्तों को नारियल के रेशे की रस्सी से एक साथ जोड़ा गया है और प्राकृतिक रेजिन से सील किया गया है, जो भारत के तटों और हिंद महासागर में कभी प्रचलित जहाज निर्माण की परंपरा को दर्शाता है।

यह परियोजना संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और होडी इनोवेशन कंपनी के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से शुरू की गई, जो भारत द्वारा स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को फिर से खोजने और पुनर्जीवित करने के प्रयासों का एक हिस्सा है।

इस जहाज का नाम पौराणिक नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने प्राचीन काल में भारत से दक्षिण पूर्व एशिया तक की यात्रा की थी। यह जहाज समुद्री राष्ट्र के रूप में भारत की ऐतिहासिक भूमिका का प्रतीक है।

भाषा आशीष नरेश

नरेश