PM Modi To PTI: हमारी कामयाबी को जानने एक लाख से ज्यादा विदेशी प्रतिनिधि आ चुके है भारत… हमने बदल दिया दुनिया का दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ पीटीआई के विशेष साक्षात्कार का मूल पाठ

PM Modi To PTI: हमारी कामयाबी को जानने एक लाख से ज्यादा विदेशी प्रतिनिधि आ चुके है भारत… हमने बदल दिया दुनिया का दृष्टिकोण

PM Modi Full Interview To PTI

Modified Date: September 3, 2023 / 06:13 pm IST
Published Date: September 3, 2023 4:34 pm IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत को जी20 की अध्यक्षता मिलना बड़ी बात है. दुनिया का नजरिया अब बदल रहा है. पहले दुनिया जीडीपी-केंद्रित थी, अब मानव-केंद्रित हो रही है, और इसमें भारत की बड़ी भूमिका है. पीएम ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास विश्व कल्याण के लिए भी एक मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है। (PM Modi Full Interview To PTI) 2024 तक भारत विकसित राष्ट्र बन जाएगा. हमारे राष्ट्रीय जीवन में भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता की कोई जगह नहीं होगी. प्रधानमंत्री ने पीटीआई को दिए अपने इंटरव्यू में कई अहम् बाते कही है। देखिए यहाँ साक्षात्कार।

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प्रश्न: जी-20 की अध्यक्षता ने भारत को एक स्थायी, समावेशी और न्यायसंगत दुनिया के लिए अपने दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नेता के रूप में अपना प्रोफ़ाइल बढ़ाने का अवसर दिया है। शिखर सम्मेलन में अब कुछ ही दिन बचे हैं, कृपया भारत की अध्यक्षता की उपलब्धियों के बारे में अपने विचार साझा करें?

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उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, हमें दो पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पहला जी-20 के गठन पर है। दूसरा वह संदर्भ है जिसमें भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिली। जी-20 की उत्पत्ति पिछली शताब्दी के अंत में हुई थी। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक संकटों के लिए एक सामूहिक और समन्वित प्रतिक्रिया की दृष्टि को लेकर एक साथ मिलीं। 21 वीं सदी के पहले दशक में वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान इसका महत्व और भी बढ़ गया। लेकिन जब महामारी ने दस्तक दी, तो दुनिया ने समझा कि आर्थिक चुनौतियों के अलावा, मानवता को प्रभावित करने वाली अन्य महत्वपूर्ण और तात्कालिक चुनौतियां भी हैं।

इस समय तक, दुनिया पहले से ही भारत के मानव-केंद्रित विकास मॉडल पर ध्यान दे रही थी। चाहे वह आर्थिक विकास हो, तकनीकी प्रगति हो, संस्थागत वितरण हो या सामाजिक बुनियादी ढांचा हो, इन सभी को अंतिम छोर तक ले जाया जा रहा था ताकि यह सुनिश्चित हो कि कोई भी पीछे न छूटे। भारत द्वारा उठाए जा रहे इन बड़े कदमों के बारे में अधिक जागरूकता थी। यह स्वीकार किया गया कि जिस देश को सिर्फ एक बड़े बाजार के रूप में देखा जाता था, वह वैश्विक चुनौतियों के समाधान का एक हिस्सा बन गया है।

भारत के अनुभव को देखते हुए, यह माना गया कि संकट के दौरान भी मानव-केंद्रित दृष्टिकोण काम करता है। एक स्पष्ट और समन्वित दृष्टिकोण के माध्यम से महामारी के प्रति भारत की प्रतिक्रिया, प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सबसे कमजोर लोगों को प्रत्यक्ष सहायता, टीकों का विकास और दुनिया का सबसे बड़ा टीका अभियान चलाना और लगभग 150 देशों के साथ दवाओं और टीकों को साझा करना। इन सभी को दुनिया ने महसूस किया और अच्छी तरह से इसकी सराहना भी की गई।

जब भारत जी-20 का अध्यक्ष बना, तब दुनिया के लिए हमारे शब्दों और दृष्टिकोण को केवल विचारों के रूप में नहीं लिया जा रहा था, बल्कि भविष्य के लिए एक ‘रोडमैप’ के रूप में लिया जा रहा था। जी-20 की अध्यक्षता पूरी करने से पहले एक लाख से अधिक प्रतिनिधि भारत का दौरा कर चुके होंगे। वे विभिन्न क्षेत्रों में जा रहे हैं, हमारी जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता देख रहे हैं। वे यह भी देख रहे हैं कि पिछले एक दशक में चौतरफा विकास किस तरह लोगों को सशक्त बना रहा है। यह समझ बढ़ रही है कि दुनिया को जिन समाधानों की आवश्यकता है, उनमें से कई पहले से ही हमारे देश में गति और पैमाने के साथ सफलतापूर्वक लागू किए जा रहे हैं।

दुनिया पहचान रही भारत की आकांक्षाओं को

भारत की जी-20 अध्यक्षता से कई सकारात्मक प्रभाव सामने आ रहे हैं। उनमें से कुछ मेरे दिल के बहुत करीब हैं। मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बदलाव विश्व स्तर पर शुरू हो गया है और हम एक उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहे हैं। वैश्विक मामलों में ‘ग्लोबल साउथ’, विशेष रूप से अफ्रीका के लिए अधिक समावेश की दिशा में प्रयास ने गति प्राप्त की है। भारत की जी-20 अध्यक्षता ने तथाकथित ‘तीसरी दुनिया’ के देशों में भी विश्वास के बीज बोए हैं। वे जलवायु परिवर्तन और वैश्विक संस्थागत सुधारों जैसे कई मुद्दों पर आने वाले वर्षों में दुनिया की दिशा को आकार देने के लिए अधिक आत्मविश्वास हासिल कर रहे हैं। हम एक अधिक प्रतिनिधित्व और समावेशी व्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ेंगे जहां हर आवाज सुनी जाएगी। इसके अलावा, यह सब विकसित देशों के सहयोग से होगा, क्योंकि आज वे पहले से कहीं अधिक ‘ग्लोबल साउथ’ की क्षमता को स्वीकार कर रहे हैं और वैश्विक भलाई के लिए एक शक्ति के रूप में इन देशों की आकांक्षाओं को पहचान रहे हैं।

प्रश्न: जी-20 दुनिया के सबसे प्रभावशाली समूह के रूप में उभरा है, जिसमें वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत हिस्सा है। अब जबकि आप ब्राजील को इसकी अध्यक्षता सौंपने वाले हैं तो जी-20 के सामने सबसे बड़ी चुनौती के रूप में क्या देखते हैं? आप राष्ट्रपति लूला (लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा) को क्या सलाह देंगे?

उत्तर: यह निश्चित रूप से सच है कि जी 20 एक प्रभावशाली समूह है। तथापि, मैं आपके प्रश्न के उस भाग का समाधान करना चाहता हूं जो विश्व के 85 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद का उल्लेख करता है। जैसा कि मैंने पहले ही कहा है, दुनिया का जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण अब मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में बदल रहा है। जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक नई विश्व व्यवस्था देखी गई थी, कोविड के बाद एक नई विश्व व्यवस्था आकार ले रही है। प्रभाव और असर के मापदंड बदल रहे हैं और इसे पहचानने की आवश्यकता है। ‘सबका साथ -सबका विकास’ मॉडल जिसने भारत में रास्ता दिखाया है, वह विश्व के कल्याण के लिए भी मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है। जीडीपी का आकार कुछ भी हो, हर आवाज मायने रखती है।

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ब्राजील की अध्यक्षता में बढ़ेंगे आगे

इसके अलावा, मेरे लिए किसी भी देश को कोई सलाह देना सही नहीं होगा कि उनकी जी 20 अध्यक्षता के दौरान क्या करना है। हर किसी की अपनी अनूठी ताकत होती है और वह उसी के अनुरूप आगे बढ़ता है। मुझे अपने मित्र राष्ट्रपति लूला के साथ बातचीत करने का सौभाग्य मिला है और मैं उनकी क्षमताओं और दृष्टिकोण का सम्मान करता हूं। मैं उन्हें और ब्राजील के लोगों को जी-20 की अध्यक्षता के दौरान उनकी सभी पहलों में बड़ी सफलता की कामना करता हूं। हम अभी भी अगले वर्ष ‘ट्रोइका’ (जी-20 के भीतर एक शीर्ष समूह) का हिस्सा होंगे जो हमारी अध्यक्षता से परे जी-20 में हमारे निरंतर रचनात्मक योगदान को सुनिश्चित करेगा। मैं इस अवसर का लाभ उठाकर जी-20 की अध्यक्षता में अपने पूर्ववर्ती इंडोनेशिया और राष्ट्रपति (जोको) विडोडो से प्राप्त समर्थन को स्वीकार करता हूं। हम उसी भावना को अपने उत्तराधिकारी ब्राजील की अध्यक्षता में आगे बढ़ाएंगे।

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