प्रधानमंत्री बताएं, ‘सरना’ कोड लागू करने की मांग पर उनका क्या रुख है : कांग्रेस

प्रधानमंत्री बताएं, 'सरना' कोड लागू करने की मांग पर उनका क्या रुख है : कांग्रेस

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  • Publish Date - May 28, 2024 / 01:05 PM IST,
    Updated On - May 28, 2024 / 01:05 PM IST

नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) कांग्रेस ने झारखंड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा की पृष्ठभूमि में मंगलवार को राज्य के आदिवासी समुदाय की ‘सरना’ धर्म कोड को मान्यता देने से जुड़ी मांग का मुद्दा उठाया और कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि आदिवासियों की इस मांग पर उनका क्या रुख है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के एक बयान को लेकर उन पर प्रहार किया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि अगर ‘चोरों और डकैतों’ को भी भाजपा से टिकट मिलता है तो उनका समर्थन किया जाना चाहिए।

रमेश ने सवाल किया, ‘गोड्डा से भाजपा प्रत्याशी लोगों से भाजपा से टिकट पाने वाले ‘चोरों और डकैतों’ को वोट देने की अपील क्यों कर रहे हैं?’

सरना कोड से जुड़ा विषय उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘वर्षों से सरना को मानने वाले झारखंड के आदिवासी समुदाय भारत में अपनी विशिष्ट धार्मिक पहचान को आधिकारिक मान्यता दिए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन जनगणना के लिए धर्म के कॉलम से ‘अन्य’ विकल्प को हटाने का हालिया निर्णय सरना अनुयायियों के लिए दुविधा पैदा करता है। या तो उन्हें अब कॉलम को खाली छोड़ना होगा या उसमें दिए गए धर्मों में से किसी एक के साथ ख़ुद को जोड़कर बताना होगा। ‘

उनके मुताबिक, नवंबर 2020 में, झारखंड विधानसभा ने इस मांग का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था।

रमेश ने दावा किया, ‘भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के 2021 तक सरना कोड लागू करने के आश्वासन और गृह मंत्री अमित शाह के 2019 में भी यही वादा करने के बावजूद, मोदी सरकार द्वारा कोई प्रगति नहीं की गई है। ‘

उन्होंने कहा, ‘आज जब प्रधानमंत्री मोदी झारखंड के दौरे पर होंगे तो क्या वह इस मुद्दे का समाधान पेश करेंगे और स्पष्ट करेंगे कि सरना कोड लागू करने पर उनका क्या रुख है? ”

रमेश ने राज्य से जुड़े एक अन्य विषय का उल्लेख करते हुए कहा, ‘जून 2015 में, अडाणी समूह ने झारखंड में गोड्डा ज़िले के 10 गांवों में कोयला बिजली संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की। झारखंड में तत्कालीन भाजपा सरकार के पूरे सहयोग से, स्थानीय किसानों से 1255 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। किसानों से जबरन ज़मीन अधिग्रहीत किए जाने के कई साल बाद भी उन्हें मुआवजे के पूर्ण रूप से भुगतान का इंतज़ार है।’

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना सवाल किया, ‘क्या प्रधानमंत्री स्पष्ट करेंगे कि वह न्याय की लड़ाई में गोड्डा के किसानों के साथ खड़े हैं या क्या उनके लिए अपने मित्र और फाइनेंसर के प्रति उनकी वफादारी अधिक महत्वपूर्ण है?’

झारखंड में कांग्रेस और उसका सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन के इन घटक दलों का मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से है।

भाषा हक जितेंद्र मनीषा नरेश

नरेश