बुंदेलखंड की राजनीतिक तपिश को भांप गए महारथी, लोकसभा चुनाव से कर रहे तौबा तौबा
Politics of Bundelkhand in Lok Sabha elections : बुंदेलखंड में कई नेता लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने से परहेज कर रहे हैं।
Politics of Bundelkhand in Lok Sabha elections
Politics of Bundelkhand in Lok Sabha elections : नई दिल्ली। बुंदेलखंड में कई नेता लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने से परहेज कर रहे हैं और सार्वजनिक तौर पर चुनाव न लड़ने की इच्छा तक जता चुके हैं। इन नेताओं के चुनाव न लड़ने के ऐलान ने नई बहस छेड़ दी है। मीडिया से बात करते समय इन नेताओं का मौन कई कयासों में उलझा के रख देता है। बुंदेलखंड की राजनीति किसी भी नेता या उम्मीदवार के लिए आसान नहीं रहती। बुंदेलखंड की सीटे आज भी ताकत और नई विचारधाराओं पर चलती है।
Politics of Bundelkhand in Lok Sabha elections : बुंदेलखंड में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटे तमाम राजनीतिक दल जिताऊ उम्मीदवारों के नाम पर मंथन और ऐलान करने में लगे हैं, वहीं कई क्षेत्रों में उम्मीदवारों को लेकर खींचतान मची हुई है। हर नेता उम्मीदवार बनने की चाहत में हाथ पैर मार रहा है, मगर बुंदेलखंड में कई नेता चुनाव लड़ने से परहेज कर रहे हैं और सार्वजनिक तौर पर चुनाव न लड़ने की इच्छा तक जता चुके हैं। इन नेताओं के चुनाव न लड़ने के ऐलान ने नई बहस छेड़ दी है।
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Politics of Bundelkhand in Lok Sabha elections : मोदी कैबिनेट में बुंदेलखंड से 2 मंत्री है। बुंदेलखंड को वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के गढ़ के तौर पर देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैले इस इलाके में मध्य प्रदेश के चार संसदीय क्षेत्र सागर, दमोह, खजुराहो व टीकमगढ़ हैं तो उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर और बांदा संसदीय क्षेत्र हैं। इन सभी क्षेत्रों पर बीजेपी का कब्जा है।
वर्तमान में बुंदेलखंड के आठ संसदीय क्षेत्रों में से दो संसदीय क्षेत्रों दमोह से सांसद प्रहलाद पटेल और टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र खटीक केंद्र सरकार में मंत्री हैं। खटीक को जहां बीजेपी ने एक बार फिर चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया है, वहीं उमा भारती ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उमा भारती सार्वजनिक तौर पर बयान दे चुकी हैं कि वह अगला चुनाव 2024 नहीं लड़ेंगी।
उमा लड़ेंगी लोकसभा का चुनाव?
उमा भारती ने साफ कर दिया है कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी। उमा भारती का कहना है कि वह जब केंद्र सरकार में मंत्री थी तभी उन्होंने तय कर लिया था कि वह दमोह या खजुराहो लोकसभा से चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि अभी तो 64 वर्ष की हूं, अगले चुनाव के समय मेरी आयु 66 साल होगी। बुंदेलखंड में पेयजल बड़ी समस्या है।
कांग्रेस के मुकेश नायक भी चुनाव से हुए अलग!
दमोह और खजुराहो संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के दावेदार व पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने भी चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे है, उन्होंने साफ कहा है कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते, विधानसभा चुनाव में नजर आए जातिवाद ने उन्हें बेहद दुखी किया है, लिहाजा चुनाव नहीं लड़ेंगे। पवई विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे।
अभिषेक भार्गव लड़ेंगे लोकसभा का चुनाव!
कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव ने दावा किया कि अपने पुत्र अभिषेक भार्गव को खजुराहो या दमोह से लोकसभा का चुनाव में भाजपा का चेहरा होंगे। गोपाल भार्गव ने पुत्र को विधानसभा का चुनाव न लड़कर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि अभिषेक दमोह में पिछले लोकसभा 2019 से ही जनता के बीच सक्रिय हो गए थे। अभिषेक के लिए दमोह की सीट इतनी आसान नहीं क्योंकि यहां से मोदी के केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल चुनाव जीतते आ रहे है। अभिषेक को यह सीट तब ही मिल सकती है जब प्रहलाद इस सीट को कुर्बान करेंगे।

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