रासायनिक घोल के लंबे समय तक इस्तेमाल से यमुना को और नुकसान हो सकता है : पर्यावरण कार्यकर्ता

रासायनिक घोल के लंबे समय तक इस्तेमाल से यमुना को और नुकसान हो सकता है : पर्यावरण कार्यकर्ता

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  • Publish Date - November 24, 2025 / 10:09 PM IST,
    Updated On - November 24, 2025 / 10:09 PM IST

नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) पर्यावरण के लिए काम करने वाले एक समूह ने सोमवार को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि यमुना नदी में झाग हटाने के लिए सिलिकॉन आधारित रासायनिक घोल के लंबे समय तक इस्तेमाल से नदी की स्थिति और खराब हो सकती है।

पिछले कुछ वर्षों से डीजेबी कालिंदी कुंज बैराज के पास यमुना नदी में दिखाई देने वाले झाग को दबाने के लिए एक रासायनिक घोल का छिड़काव करता रहा है।

पर्यावरण कार्यकर्ता पंकज कुमार ने अपने पत्र में कहा, ‘अतीत में, दिल्ली जल बोर्ड ने ओखला बैराज के बहाव क्षेत्र में पॉलीडाइमिथाइलसिलोक्सेन (पीडीएमएस) घोल के छिड़काव को त्योहार से ठीक पहले और उसके दौरान सात से दस दिनों की अवधि तक सीमित कर दिया था। इस वर्ष घोल का छिड़काव अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में शुरू हुआ और इसे अगले तीन महीनों तक जारी रखने का इरादा है।’

पत्र में लिखा गया कि ऐसा लगता है कि यह नियमित कवायद है, और यह नुकसानदेह है।

पत्र पर दिल्ली जल बोर्ड की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

कुमार ने लिखा, ‘पीडीएमएस एक हाइड्रोफोबिक परत बनाता है, जो ऑक्सीजन के स्तर को कम कर देता है। लंबे समय तक ऐसा करने से पहले से ही प्रदूषित नदी की स्थिति और खराब हो सकती है।’

पत्र में कहा गया, ‘भले ही घोल को गणना की गई कम मात्रा में इस्तेमाल करने पर ‘सुरक्षित’ होने का दावा किया जाता है, लेकिन जब इसे हफ्तों/महीनों तक और बिना झाग वाले क्षेत्रों में अंधाधुंध तरीके से छिड़का जाता है, तो इसकी कोई सुरक्षित सीमा नहीं होती है।’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप