बंगाल में बुजुर्ग व बीमार मतदाताओं के लिए घर पर सुनवाई का प्रस्ताव, आयोग की मंजूरी का इंतजार

बंगाल में बुजुर्ग व बीमार मतदाताओं के लिए घर पर सुनवाई का प्रस्ताव, आयोग की मंजूरी का इंतजार

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  • Publish Date - December 18, 2025 / 06:34 PM IST,
    Updated On - December 18, 2025 / 06:34 PM IST

(सुदिप्तो चौधरी)

कोलकाता, 18 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ)कार्यालय ने निर्वाचन आयोग से बुजुर्ग मतदाताओं, खासकर 85 वर्ष से अधिक उम्र के तथा गंभीर रूप से बीमार मतदाताओं के लिए घर पर सुनवाई आयोजित करने की अनुमति मांगी है। यह जानकारी बृहस्पतिवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।

सीईओ कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने निर्वाचन आयोग से वरिष्ठ नागरिकों को घर पर सुनवाई की अनुमति देने का अनुरोध किया है ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो। दिल्ली से मंजूरी मिलते ही आवश्यक व्यवस्थाएं कर दी जाएंगी।’’

सूत्रों के अनुसार, गंभीर बीमारियों से पीड़ित मतदाताओं को भी यही सुविधा दी जा सकती है।

अधिकारी ने कहा कि यदि कोई मतदाता 85 वर्ष या उससे अधिक आयु का है या चिकित्सकीय रूप से अस्वस्थ है, तो विचार यह है कि उन्हें कार्यालय बुलाने के बजाय अधिकारियों को उनके घर भेजा जाए।

हालांकि, मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने पूर्व में स्पष्ट किया था कि आयोग का रुख यह है, ‘‘जिन मतदाताओं द्वारा प्रस्तुत जानकारी या दस्तावेजों पर संदेह होगा, उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। यह प्रक्रिया पारदर्शी होगी और नियमों के अनुसार ही होगी।’’

अधिकारी ने बताया वरिष्ठ नागरिकों को इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए अग्रवाल ने दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग के साथ चर्चा की है।

इस प्रक्रिया के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए, अधिकारी ने कहा कि घर पर सुनवाई के दौरान संबंधित निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (एआरओ) उपस्थित रहेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) के भी उपस्थित रहने की उम्मीद है। सभी व्यवस्थाओं को दिल्ली कार्यालय से मंजूरी मिलनी बाकी है।’’

इस बीच, निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को पहले चरण में उन मतदाताओं को नोटिस जारी करना शुरू कर दिया जिनके माता-पिता या दादा-दादी के नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं मिल पाए हैं और इसलिए उन्हें ‘‘असत्यापित’’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

अधिकारी ने बताया कि ऐसे मतदाताओं की संख्या लगभग 31 लाख होने का अनुमान है।

हालांकि, आयोग के अधिकारियों ने संकेत दिया कि इन मामलों में सुनवाई की प्रक्रिया अगले सप्ताह के मध्य से पहले शुरू होने की संभावना नहीं है।

बीएलओ ने बृहस्पतिवार से घर-घर जाकर नोटिस बांटना शुरू कर दिया, जिसमें मतदाताओं को यह बताया गया कि उन्हें कब और कहां उपस्थित होना है।

भाषा

नोमान नेत्रपाल

नेत्रपाल