Rahul Gandhi's big attack on PM Modi, image source: loksabha TV X
नईदिल्ली: Rahul Gandhi’s big attack on PM Modi, ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चल रही चर्चा के दूसरे दिन कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बड़े ही आक्रामक अंदाज में दिखे। राहुल गांधी ने कहा कि ”प्रधानमंत्री जी, राष्ट्र और सेना आपकी छवि, आपकी राजनीति, आपके PR और प्रचार से बहुत ऊपर है। यह समझने की विनम्रता रखिए, यह स्वीकार करने की गरिमा रखिए। आपमें अगर निर्णय लेने की क्षमता नहीं थी, तो सेना और राष्ट्र का स्वाभिमान गिरवी रखने का भी आपको कोई अधिकार नहीं था।
प्रधानमंत्री जी,
राष्ट्र और सेना आपकी छवि, आपकी राजनीति, आपके PR और प्रचार से बहुत ऊपर है।
यह समझने की विनम्रता रखिए, यह स्वीकार करने की गरिमा रखिए।
आपमें अगर निर्णय लेने की क्षमता नहीं थी, तो सेना और राष्ट्र का स्वाभिमान गिरवी रखने का भी आपको कोई अधिकार नहीं था। pic.twitter.com/FLnIpGmbBf
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 29, 2025
इसके साथ ही राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की पाकिस्तान से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाया कि ऑपरेशन सिंदूर शूरू होने की रात ही आधे घंटे में ही सरकार ने सीजफायर कर दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति खो दी थी।
राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का हवाला देते हुए कहा कि रक्षा मंत्री ने सदन में कहा कि हमने रात में 1.35 पर पाकिस्तान को यह बताया कि हमने आतंकी ठिकानों पर हमला किया है। यह एस्केलेटरी नहीं थी। अब कोई एस्केलेशन नहीं होना चाहिए। राहुल ने कहा, “आपने 30 मिनट में ही पाकिस्तान के सामने सरेंडर कर दिया और यह बता दिया कि आपके पास लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं है।” राहुल ने कहा कि ऐसा कहकर सरकार ने वायु सेना के पायलट्स के हाथ-पांव बांध दिए।
राहुल ने स्पष्ट करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं करने का आदेश देने की गलती की और हमारे पायलटों के हाथ बांध दिए गए। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद पाकिस्तान को बताया कि हम संघर्ष को आगे नहीं बढ़ाना चाहते। यानी एक तरह से सरकार ने कह दिया कि हमारे पास राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है।
राहुल गांधी ने 1971 के युद्ध के समय इंदिरा गांधी और फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के बीच की बातचीत का भी जिक्र किया और कहा कि उस समय इंदिरा जी से सैम मॉनेकशॉ ने कहा था कि हम अभी ऑपरेशन नहीं कर सकते, हमें छह महीने का समय चाहिए, गर्मियों में करेंगे। तब इंदिरा जी ने पूरा समय दिया था और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
उन्होंने कहा कि इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। सेना के उपयोग के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी है। 1971 में तब की प्रधानमंत्री ने अमेरिका की परवाह नहीं की थी और राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए सेना को आगे बढ़ने का निर्देश दिया था। इसका नतीजा यह था कि एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर किया था और बांग्लादेश का गठन हुआ था।
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