जयपुर, 11 दिसंबर (भाषा) भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने राजस्थान में जिला परिषद प्रमुख और पंचायत समिति प्रधान चुनाव में कांग्रेस और भाजपा पर ‘हाथ’ मिलाने का आरोप लगाया है।
बीटीपी ने कहा है कि वह राज्य की अशोक गहलोत सरकार से अपना रिश्ता खत्म करेगी। बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम घोघरा के अनुसार इन दोनों पार्टियों की ‘मिलीभगत’ से वह डूंगरपुर में अपना जिला प्रमुख और तीन पंचायत समितियों में प्रधान नहीं बना पाई जबकि बहुमत उसके पास था।
घोघरा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस घटनाक्रम से कांग्रेस और भाजपा, दोनों का असली चेहरा सामने आ गया है। हम राज्य सरकार से अपने रिश्ते खत्म कर रहे हैं और इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी।’’
राज्य में बीटीपी के दो विधायक हैं जिन्होंने गहलोत सरकार पर संकट के समय और राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेस का साथ दिया था।
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बीटीपी के संस्थापक छोटूभाई वसावा ने भी ट्वीट किया कि पार्टी राजस्थान सरकार से अपना समर्थन वापस लेगी।
बीटीपी की ताजा नाराजगी जिला परिषद प्रमुख एवं पंचायत समिति प्रधान के लिए बृहस्पतिवार को हुए चुनाव में कांग्रेस और भाजपा द्वारा कथित तौर पर ‘हाथ’ मिलाने को लेकर है। डूंगरपुर जिला परिषद में 27 में से 13 बीटीपी समर्थक जीते, भाजपा के आठ और कांग्रेस के छह प्रत्याशी जीते, इसके बावजूद प्रधान के चुनाव में भाजपा की सूर्यादेवी अहारी ने निर्दलीय के रूप में पर्चा भरा और एक वोट से जीत गयीं। मान्यता नहीं होने के कारण बीटीपी ने इन चुनाव में अपने उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में उतारे थे।
बीटीपी प्रदेशाध्यक्ष घोघरा के अनुसार सात पंचायत समिति में पार्टी के पास बहुमत था और उसके प्रधान बनने थे लेकिन इन दोनों पार्टियों की ‘मिलीभगत’ के चलते वह केवल चार जगह प्रधान बना पाई।
घोघरा ने कहा कि इन पार्टियों का कल का रवैया ‘लोकतंत्र की हत्या करने वाला है और बीटीपी इन दोनों से ही दूरी रखकर आदिवासी लोगों की आवाज उठाती रहेगी।’
भाजपा ने इन आरोपों को खारिज किया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा,‘‘ हमने किसी को कोई लोभ-लालच नहीं दिया। सबने अपने विवेक के आधार पर फैसला किया। आत्मा की आवाज के आधार पर कोई भी किसी का समर्थन कर सकता है।’’
वहीं कांग्रेस नेता इस बारे में टिप्पणी से बचते रहे।
यह प्रकरण दो दिन से सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में रहा जहां कुछ लोग ‘भाजपा कांग्रेस एक है’ हैशटैग से इसकी चर्चा कर रहे हैं।
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नागौर जिले की खींवसर पंचायत समिति में कुल 31 सदस्यों में से हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने 15 सीटें जीती जबकि भाजपा के पांच, कांग्रेस के आठ और तीन निर्दलीय उम्मीदवार जीते। आरएलपी को बोर्ड बनाने के लिए एक और निर्वाचित सदस्य की जरूरत थी लेकिन कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय ने मिलकर यहां एक निर्दलीय को प्रधान बना दिया।
उल्लेखनीय है कि आरएलपी केंद्र में सत्तारूढ राजग की घटक पार्टी है जिसके राज्य से एक सांसद हनुमान बेनीवाल और तीन विधायक हैं।
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