उत्तराखंड में कांग्रेस की हार का कारण प्रमुख नेताओं का चुनाव से दूर रहना रहा :विशेषज्ञ

उत्तराखंड में कांग्रेस की हार का कारण प्रमुख नेताओं का चुनाव से दूर रहना रहा :विशेषज्ञ

  •  
  • Publish Date - June 5, 2024 / 08:01 PM IST,
    Updated On - June 5, 2024 / 08:01 PM IST

देहरादून, पांच जून (भाषा) उत्तराखंड में मंगलवार को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार भाजपा के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी जिसकी मुख्य वजहों में से एक इसके प्रमुख नेताओं का चुनाव से दूर रहना माना जा रहा है।

वर्ष 2014 और 2019 की तरह इस बार भी भाजपा ने पांचों सीट काफी मतों के अंतर से अपने नाम कीं। पौड़ी से अनिल बलूनी, टिहरी से महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह, हरिद्वार से त्रिवेंद्र सिंह रावत, अल्मोड़ा से अजय टम्टा और नैनीताल-उधमसिंह नगर से अजय भटट अपने निकटतम प्रतिद्वंदियों कांग्रेस के प्रत्याशियों पर शानदार जीत हासिल की ।

देहरादून के एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, ‘‘उत्तराखंड में प्रमुख कांग्रेस नेता चुनाव से दूर रहे। इससे पार्टी कार्यकर्ता उदासीन रहे। पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी चुनाव की शुरूआत से ही साफ दिखी।’’

उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने ध्यान से प्रत्याशियों का चयन किया होता और ज्यादा मेहनत की होती तो वे भाजपा के किले में सेंध लगा सकते थे।

राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन भटट ने कहा,‘‘ उदाहरण के लिए, अगर हरीश रावत ने अपने पुत्र के स्थान पर स्वयं चुनाव लड़ा होता तो वहां तस्वीर कुछ अलग हो सकती थी।’’

उन्होंने कहा कि हांलांकि, कांग्रेस सीट हार गयी लेकिन हरिद्वार में उसकी वोट हिस्सेदारी 2014 की तुलना में बढ़ी है जबकि भाजपा की गिरी है ।

भटट ने कहा कि हरिद्वार सीट पर 2014 में भाजपा की वोट हिस्सेदारी 58 प्रतिशत थी जो 2019 और 2024 में घटकर क्रमश: 52 और 50 प्रतिशत हो गयी । उन्होंने कहा कि इसके विपरीत इस अवधि में इस सीट पर कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी 2014 से 2024 तक 34 प्रतिशत से बढ़कर 38 प्रतिशत हो गयी ।

उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में अगर एक नए उम्मीदवार की जगह कोई अनुभवी प्रत्याशी होता तो वह पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत को बेहतर टक्कर दे सकता था ।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरिद्वार सीट पर प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत के पुत्र और कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र रावत को 1,64,056 मतों के अंतर से हराकर पहली बार लोकसभा पहुंचने में सफल रहे ।

भटट ने कहा कि इसी प्रकार, चकराता से छह बार के कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह और बाजपुर के विधायक यशपाल आर्य भी क्रमश: टिहरी और नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट पर कांग्रेस के लिए बेहतर प्रत्याशी हो सकते थे।

उन्होंने कहा कि पौड़ी से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी चुनाव हार गए लेकिन उन्होंने 2019 के मुकाबले इस बार भाजपा के विजय के अंतर को कम कर दिया ।

भटट ने कहा कि इसके अलावा, चुनाव से पहले बदरीनाथ से कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी जैसे वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़ने से भी कार्यकर्ताओं का उत्साह घट गया और इसका असर उसकी चुनावी संभावनाओं पर पड़ा ।

उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा किए गए प्रचंड चुनाव प्रचार के मुकाबले कांग्रेस के उत्साहहीन अभियान ने भी पार्टी की संभावनाओं पर असर डाला ।

पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं में केवल प्रियंका गांधी ने ही उत्तराखंड में एक-दो चुनावी रैलियां की जबकि दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, जे पी नडडा, योगी आदित्यनाथ सहित लगभग सभी स्टार प्रचारकों ने यहां जमकर प्रचार किया ।

भाषा दीप्ति

राजकुमार

राजकुमार