नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के स्तर में सुधार के मद्देनजर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी)-चार के कड़े प्रतिबंधों को दूसरे चरण तक शिथिल करने की अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीएक्यूएम को चरण-दो प्रतिबंधों में जीआरएपी-तीन के कुछ अतिरिक्त उपाय शामिल करने का सुझाव दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारे समक्ष प्रस्तुत किए गए आंकड़ों पर विचार करते हुए हमें नहीं लगता कि इस स्तर पर सीएक्यूएम को चरण दो से नीचे जाने की अनुमति देना उचित होगा। शायद इस अदालत की ओर से आगे की निगरानी आवश्यक है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि आयोग को फिलहाल चरण दो में जाने की अनुमति दी गई है, लेकिन यह उचित होगा कि सीएक्यूएम कुछ अतिरिक्त उपायों को शामिल करने पर विचार करे जो जीआरएपी के तहत चरण तीन का हिस्सा थे।
पीठ ने सीएक्यूएम को बताया कि यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक 350 अंक को पार कर गया तो चरण तीन प्रतिबंध लागू किए जाएंगे और यदि एक्यूआई 400 को पार कर गया तो चरण-चार प्रतिबंध लागू किए जाएंगे।
पीठ ने कहा, ‘‘यदि आयोग पाता है कि एक्यूआई 350 से ऊपर चला गया है तो एहतियात के तौर पर चरण तीन के तहत उपाय लागू किए जाने चाहिए और यदि किसी दिन एक्यूआई 400 को पार कर जाता है तो चरण चार के उपाय शुरू किए जाने चाहिए।’’
शीर्ष अदालत ने रेखांकित किया कि पिछले चार दिन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में एक्यूआई का स्तर 300 से अधिक नहीं हुआ।
न्यायालय ने कहा, ‘‘हमने 18 नवंबर से चार दिसंबर तक के एक्यूआई के आंकड़ों का अध्ययन किया है। 30 नवंबर तक, स्तर लगातार 300 से ऊपर था और केवल पिछले चार दिनों के दौरान स्तर 300 से नीचे आया है।’’
पीठ ने कहा कि यह सच है कि किसी न किसी स्तर पर न्यायालय को वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के लिए जीआरएपी के तहत चरणों की उपयोगिता तय करने का काम आयोग पर छोड़ना होगा। न्यायालय ने कहा कि दिल्ली के प्रवेश बिंदुओं पर निरीक्षण करने के लिए नियुक्त अदालत आयुक्त, आयोग द्वारा जीआरएपी के तीसरे चरण को लागू किए जाने के साथ ही काम करना शुरू कर देंगे।
अदालत आयुक्तों को उनकी सेवाओं के लिए दिल्ली सरकार द्वारा पारिश्रमिक दिया जाएगा। पीठ 12 दिसंबर को आगे के निर्देश पारित करेगी।
सुनवाई के दौरान, सीएक्यूएम की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि मौसम संबंधी और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण एक्यूआई स्तर में गिरावट आई है।
उन्होंने अदालत से जीआरएपी-चार के कड़े प्रतिबंधों में ढील देने का आग्रह किया क्योंकि यह कई लोगों की आजीविका को प्रभावित कर रहा है और सुझाव दिया कि चरण तीन और चरण चार के संयोजन को लागू किया जाना चाहिए।
इस मामले में ‘एमिकस क्यूरी’ नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने बताया कि पश्चिमी दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर अभी भी अन्य इलाकों की तुलना में अधिक है।
इसके बाद पीठ ने कहा कि शहर में खुले में कूड़ा जलाने पर रोक लगाने के लिए कुछ प्रोटोकॉल विकसित करने की आवश्यकता है और उसने 2016 के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के कार्यान्वयन पर जोर दिया, जिसके लिए वह सभी संबंधित पक्षों को सुनेगी।
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच को ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच को ‘खराब’, 301 से 400 के बीच को ‘बहुत खराब’ तथा 401 से 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।
न्यायालय दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के उपायों पर एक मामले की सुनवाई कर रहा था। दो दिसंबर को शीर्ष अदालत ने जीआरएपी के चौथे चरण के तहत आपातकालीन उपायों में ढील देने से इनकार कर दिया था जब तक कि एक्यूआई स्तर में लगातार गिरावट का रुझान न देखा जाए।
भाषा आशीष नरेश
नरेश