राज्य सरकारें सार्वजनिक भवनों में बाल देखभाल और ‘दुग्धपान’ कक्ष सुनिश्चित करें: उच्चतम न्यायालय

राज्य सरकारें सार्वजनिक भवनों में बाल देखभाल और ‘दुग्धपान’ कक्ष सुनिश्चित करें: उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - February 19, 2025 / 06:12 PM IST,
    Updated On - February 19, 2025 / 06:12 PM IST

नयी दिल्ली, 19 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सार्वजनिक भवनों में बाल देखभाल और शिशुओं के ‘दुग्धपान’ के लिए अलग स्थान के महत्व को रेखांकित करते हुए राज्य सरकारों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति प्रसन्न बी वराले की पीठ ने कहा कि इस तरह के सुविधा केंद्रों की स्थापना से माताओं की निजता सुनश्चित होगी और यह शिशुओं के लिए फायदेमंद साबित होगा।

अदालत ने कहा कि मौजूदा सार्वजनिक स्थानों पर, जहां तक ​​संभव हो, राज्य सरकारें यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि ऐसी सुविधाएं प्रदान की जाएं।

पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक ​​सार्वजनिक स्थानों पर नियोजन और निर्माण के चरण में सार्वजनिक भवनों का सवाल है, राज्य सरकारें यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि उपर्युक्त उद्देश्यों के लिए पर्याप्त स्थान आरक्षित हो।’’

शीर्ष अदालत सार्वजनिक स्थानों पर शिशुओं और माताओं के लिए ‘दुग्धपान कक्ष’, बाल देखभाल कक्ष या कोई अन्य सुविधाएं स्थापित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

केंद्र के वकील ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव ने 27 फरवरी, 2024 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को इस मुद्दे पर एक पत्र जारी किया था।

पीठ ने कहा कि उसे पता है कि उसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोई नोटिस जारी नहीं किया है, और सचिव के संचार पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें याचिका में उल्लिखित अनुरोधों को शामिल किया गया है।

पीठ ने कहा, ‘‘इसके अवलोकन से हमें पता चला है कि सार्वजनिक स्थानों पर उक्त सुविधाएं स्थापित करने की सलाह का उद्देश्य गोपनीयता सुनिश्चित करना और छोटे बच्चों वाली माताओं के कर्तव्यों के निर्वहन में आसानी तथा शिशुओं के लाभ के लिए है।’’

पीठ ने कहा कि यदि राज्यों द्वारा इस सलाह पर अमल किया जाता है, तो यह युवा माताओं के शिशुओं को दूध पिलाते समय गोपनीयता की सुविधा प्रदान करने में काफी मददगार साबित होगा।

पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया और केंद्र को दो सप्ताह के भीतर उसके निर्देश का पालन करने के लिए कहा।

भाषा संतोष दिलीप

दिलीप