नई दिल्ली। अगर कोई महिला और पुरुष बिना शादी के लंबे समय तक साथ रहें तो क्या अलग होने पर पुरुष को गुजारा भत्ता देना होगा? आधुनिक समाज में लिव-इन के बढ़ते चलन के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले का परीक्षण करने का निर्णय लिया है।
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कई सवाल पूछते हुए पड़ताल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट का सवाल था कि क्या ‘संबंध बनाने के बाद पुरुष शादी से मुकरता है तो उसकी जिम्मेदारी बनती है? ‘कोर्ट ने पूछा, ‘क्या महिला को पत्नी की तरह गुजारा भत्ता, संपत्ति में हिस्सा दिया जा सकता है? कोर्ट ने पूछा कि क्या ऐसे संबंधों को अपने आप ही शादी की तरह देखा जा सकता है?
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जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि कई मामलों में अदालत कह चुकी है कि महिला की सहमति से बनाए गए संबंध पर पुरुष के खिलाफ बलात्कार का अपराध नहीं बनता लेकिन क्या बगैर शादी के लंबे समय तक स्त्री-पुरुष के साथ रहने को वास्तव में शादी माना जाना चाहिए या नहीं और क्या पुरुषों पर गुजाराभत्ता सहित अन्य सिविल दायित्वों का बोझ डाला जा सकता है या नहीं? पीठ ने इस सवाल को अहम बताते हुए परीक्षण करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ऐसे सवालों की पड़ताल करने के लिए तैयार हो गया है। अदालत ने इस पर केंद्र सरकार से उसकी राय मांगी है।
वेब डेस्क, IBC24